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आपकी बात, देश में धर्म के नाम पर अंधविश्वास क्यों बढ़ता जा रहा है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

May 30, 2023 / 05:06 pm

Patrika Desk

आपकी बात, देश में धर्म के नाम पर अंधविश्वास क्यों बढ़ता जा रहा है?

धर्म गुरु दे रहे बढ़ावा
धर्म गुरु अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए अंधविश्वास को बढ़ावा देते हंै। शिक्षित व्यक्ति भी धार्मिक अंधविश्वास के कुचक्र में फंस जाते हैं। समाज को धार्मिक अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले तत्वों की पहचान करके निर्मूल करना आवश्यक है। देश में व्याप्त धार्मिक अंधविश्वास को खत्म करने के लिए सरकार, प्रशासन और समाज को मिलकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।
-प्रकाश भगत, चांदपुरा, नागौर
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सोच बदलने की जरूरत
लोग धर्म से जुड़े रहते हैं। धर्म में आस्था होने के कारण धर्म में इस प्रकार की बातें होती हंै कि लोगों का अंधविश्वास दिन-रात बढ़ता जाता है। लोग अंधविश्वास को ज्यादा मानते हैं। स्वास्थ्य से जुड़ी डॉक्टर की सलाह पर कोई अमल नहीं करता है। लोग पाखंड में ज्यादा विश्वास करते हैं। पाखंडी की बातों पर फटाफट अमल करते हैं। अंधविश्वास को समाप्त करने के लिए अपनी सोच को बदलना होगा।
-खूबी लाल पूर्बिया, उदयपुर
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धर्म के नाम पर
धर्म से लोगों को आसानी बहकाया जा सकता है। ईश्वरीय आदेश बता कर, स्वर्ग या पाप व पुण्य आदि बातों का सहारा लेकर लोगों को ठगा जाता है। कुछ चतुर लोग धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाते हैं और अपना उल्लू सीधा करते हैं।
अन्नपूर्णा खाती, बीकानेर
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औचित्यहीन परंपराएं
हर व्यक्ति अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानता है। हजारों वर्षों से चली आ रही औचित्यहीन परंपराओं पर वह आंख मूंदकर विश्वास करता है और उससे अलग होना नहीं चाहता। इसका फायदा उठाकर कुछ लोग अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं। इसी कारण देश में धर्म के नाम पर अंधविश्वास बढ़ता जा रहा है ।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़, छत्तीसगढ़
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धर्म का दिखावा
संयुक्त परिवार से टूटकर बिखरे परिवार पारंपरिक कुल देवी-देवताओं की पूजा अर्चना से दूर हो रहे हैं। लोग सोशल मीडिया में धर्म के नाम पर लूट करने वालों से प्रभावित होकर धर्म का आडंबर व दिखावा कर रहे हैं।
-आलोक ब्यौहार, सिहोरा, म.प्र.
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अंधविश्वास को बढ़ावा
लोगों को धर्म और अंधविश्वास में अंतर ही पता नहीं है। जब तक धर्म के नाम पर पाखंडी लोगों को गुमराह करते रहेंगे, यह सिलसिला बढ़ता ही रहेगा। हम सब शिक्षित वर्ग के लोग आंखें बंद कर तमाशा देख रहे रहे हैं। सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। समाज के ठेकेदार अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं।
-हेमलता मीणा, प्रतापगढ़
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फंस जाते हैं शिक्षित भी
धर्मात्मा में प्रेम, दया, क्षमा, धैर्य, त्याग और संयम जैसे गुण होने चाहिए। लेकिन आजकल धर्म और धार्मिकता का मतलब कुछ दूसरा ही मान लिया गया है। ज्यादातर देखा जा रहा है, कि शिक्षित वर्ग भी अंधविश्वास के चक्कर में आ ही जाते हैं। इसकी बजाय ईश्वर में आस्था रखकर ,भगवान नाम स्मरण, भजन कीर्तन या मंत्र जाप करें, तो ज्यादा बेहतर होगा।-
-निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ, अलवर

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