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आपकी बात, संकट के समय केंद्र सरकार सभी दलों को साथ क्यों नहीं ले पा रही?

Published: May 13, 2021 05:40:00 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

आपकी बात, संकट के समय केंद्र सरकार सभी दलों को साथ क्यों नहीं ले पा रही?

आपकी बात, संकट के समय केंद्र सरकार सभी दलों को साथ क्यों नहीं ले पा रही?

छवि बचाने की कोशिश
कोरोना काल में गत वर्ष लॉकडाउन खोलते समय हुई गलतियों से स्थिति बिगड़ी जिससे प्रधान मंत्री की छवि पर असर पड़ा। अब ऐसा दिखाई देता है केंद्र की सारी कोशिश काम करने की बजाय छवि बचाने की है। यही वजह है कि केंद्र ने दवा व ऑक्सीजन की व्यवस्था करने की बजाय इसका दोष राज्यों पर डालना शुरू कर दिया है। पहले देश की जरूरत का ध्यान रखे बिना वैक्सीन दूसरे देशों को भेज दी गई। अब राज्यों से कहा गया है कि वे ग्लोबल टेंडर के जरिए बाहर से वैक्सीन की व्यवस्था करेंं। दरअसल विपक्षी दलों और राज्यों का सहयोग लेना सरकार की प्राथमिकता ही नहीं है।
-रमेश छाबड़ा,सूरतगढ़
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बहुमत का अहंकार
बहुमत के अहंकार और एकला चलो रे की नीति के चलते केंद्र सरकार ने कई अविवेकपूर्ण कदम उठाए हैं। अर्थव्यवस्था को दांव पर लगा उसे ध्वस्त कर दिया है। खंडित विपक्ष की कमजोरी यह है उसके पास दूरगामी सोच व सर्वमान्य नेतृत्व नहीं है, वह मात्र ट्विटर पर ही सक्रिय है। विपक्ष को कोई जन कल्याणकारी योजना रखनी होगा। प्रधानमंत्री को भी विपक्ष के साथ सारे पूर्वाग्रहों को त्याग कर कोरोना से उपजी समस्याओं के निदान के लिए ठोस निर्णय लेने चाहिए।
-महेंद्र गेहलोत, बेटमा, इन्दौर, मप्र.
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जरूरी है एकजुटता
जैसे आग और पानी का मेल नहीं हो सकता है, उसी तरह हमारे देश के अलग-अलग दल की विचारधारा का मेल कभी भी नहीं हो सकता। ये दल अपनी झूठी शान के लिए एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई भी मौका नहीं छोडऩा चाहते। फिर भी वैश्विक महामारी कोरोना से लडऩे के लिए सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होना चाहिए, क्योंकि यह महामारी हर किसी को अपनी चपेट में ले रही। न यह राजा देख रही और न रंक।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर
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सबको साथ लेना होगा
केंद्र सरकार सभी दलों को साथ लेकर चलना ही नहीं चाहती। इसी वजह से संकट के समय में सभी दल एक साथ नहीं हैं। इस मुसीबत के समय में सरकार को सबको साथ लेकर चलना चाहिए, क्योंकि यह ऐसी बीमारी है जिसे सरकार भी अकेले के दम पर नहीं हरा सकती।
– सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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अपनी ढपली, अपना राग
ज्ञानी पुरुष कहते हैं कि जीत में विनम्र और हार में गरिमा बनाए रखना महानता की निशानी है। किंतु आजकल के नेता और दल इस संकट की घड़ी में भी अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। देश में चारों तरफ भयावह मंजर नजर आ रहा है। ऐसे में राजनीतिक दलों को अपने तुच्छ स्वार्थ की राजनीति से ऊपर उठकर अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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नकारात्मक राजनीति
देश इस समय महामारी से जूझ रहा है। ऐसे समय में यह आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल और उनके नेता सारे मतभेद भुलाकर देश को उबारने में सहयोग करें। दुर्भाग्य से देश में महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों की नकारात्मक राजनीति के चलते स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
-राजेश कश्यप, बिश्रामपुर, छत्तीसगढ़
नेताओं पर अहंकार हावी
आज के नेताओं और राजनीतिक दलों पर अहंकार हावी हो गया है। उन्हें आमजन का दुख दिखाई ही नहीं दे रहा। अब भी वे आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में लगे हैं। कभी वैक्सीन पर तो कभी जीएसटी अथवा बाहर से आने वाली राहत सामग्री पर झगड़ रहे हैं। यह समय दोषारोपण का नहीं है। सभी को साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए।
सिद्धार्थ शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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जरूरी है विनम्रता
सत्तारूढ़ दल को विपक्ष के सुझावों पर ध्यान देना चाहिए। महामारी संकट के दौरान भी यदि विनम्रता के भाव नहीं होंगे, तो केंद्र सरकार विपक्षी दलों का सहयोग कभी भी नहीं ले पाएगी। गलतियों को स्वीकारना ही गलतियों के उन्मूलन का प्रथम चरण होता है। संकीर्ण मानसिकता आपसी मेलजोल की शत्रु होती है।
-मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई
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केंद्र सरकार निभाए जिम्मेदारी
अपने अहंकार के कारण केंद्र सरकार सभी दलों को अपने साथ नहीं ले पा रही है। केन्द्र सरकार आज भी सलाह-मशविरा न करके आलोचनाओं को छुपाने में लगी हुई है। अब आगे बढ़कर सभी दलों से बातचीत करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, न की विपक्षी दलों की ।
-रमेश घाटी, जयपुर
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कोरोना पर न हो राजनीति
देश में कोरोना संकट गहराता जा रहा है। ऐसे समय में भी राजनीतिक दलों का राजनीति करना कहां तक उचित है? केंद्र सरकार और राज्य सरकारें एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। यह सही है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को समझने में केंद्र सरकार से चूक हुई है, लेकिन अभी सभी को साथ मिलकर कोरोना से लडऩा चाहिए।
-नीलिमा जैन, उदयपुर
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नहीं है आरोप-प्रत्यारोप का समय
भारतीय राजनीति की हमेशा से विडंबना ही रही है कि विपक्ष ने सरकार के प्रति नकारात्मक रवैया ही अपनाया है। इसके बावजूद केंद्र सरकार को इस संकट के समय में सभी दलों को साथ लेना चाहिए। यह आरोप-प्रत्यारोप का समय नहीं है।
-अशोक दुआ, श्री गंगानगर
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चेतावनी पर नहीं दिया ध्यान
केंद्र सरकार का तानाशाहीपूर्ण रवैया विपक्षी दलों को सरकार से जोडऩे में बाधक है। सिर्फ दो नेताओं की छवि बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। असली समस्याओं से मुंह मोड़ा जा रहा है। भारत और विदेश के सरकारी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पहले ही चेतावनी दे दी थी कि स्थिति बिगड़ सकती है, लेकिन सरकार दूसरे कामों में व्यस्त रही। बिना सोचे देश में भीड़ भरे आयोजन किए गए।
-इम्तियाज हुसैन अलवर
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साथ नहीं दे रहा विपक्ष
कोरोना काल में केंद्र सरकार तो विपक्षी पार्टियों से सम्पर्क साध रही है ,लेकिन विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार का साथ नहीं दे रहीं। वे जान बूझकर ऐसा काम करते हैं, जिससे सरकार की बदनामी हो।
-रवि प्रजापत, इंदौर, मप्र
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एकजुटता का समय
कोरोना की दूसरी लहर इतनी खतरनाक ढंग से आई कि उसने पूरे देश को हिला डाला। हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। अब ये समय गलती ढूंढने का नहीं है, बल्कि एकजुटता से मुकाबला करने का है। सरकार को चाहिए कि वह सभी को साथ लेकर चले, सभी की बात सुनकर उस पर अमल करे, ताकि हम कोरोना पर नियंत्रण कर सकें।
-साजिद अली, चंदन नगर, इंदौर
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सभी को साथ लेने का समय
कोरोना के इस संकट काल में केंद्र सरकार को अपने अहंकार को भूलकर सभी दलों को साथ लेकर चलना चाहिए। सभी विपक्षी दलों की भी यह जिम्मेदारी है कि वे द्वेष भावना को भुलाकर राष्ट्रहित में एक होकर सरकार की मदद करें। सत्ता के सिंहासन पर आसीन भाजपा को अटल बिहारी वाजपेयी से सीख लेनी चाहिए कि कैसे सत्ता में रहकर भी सभी को कैसे साथ लेकर चलना चाहिए।
-प्रकाश चन्द्र राव, भीलवाड़ा
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बहुदलीय व्यवस्था को महत्व नहीं
विपक्षी दलों के नेता सरकार के साथ सहयोग करने का बार-बार आश्वासन दे रहे हैं, किंतु प्रधानमंत्री अपने हिसाब से ही चल रहे हैं। भारतीय संघीय ढांचे एवं बहुदलीय व्यवस्था को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा। विपक्षी नेताओं की आलोचना करने के लिए भाजपा ने अपने नेताओं, केन्द्रीय मंत्रियों सहित अपने आइटी सेल को सक्रिय किया हुआ है।
-गिरीश कुमार जैन, इंदौर
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केंद्र सरकार को बदनाम करना ही लक्ष्य
केंद्र सरकार सभी दलों को साथ लेकर चलना चाह रही है, लेकिन विभिन्न दल अपनी-अपनी ढपली बजा रहे हैं, जिसका खमियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। सभी विपक्षी पार्टियों का एक ही एजेंडा है। वे येन-केन प्रकारेण केंद्र सरकार को बदनाम करना चाहती हैं। इस कारण वे सदैव केंद्र सरकार की कमियां ढूंढने में ही अपना समय जाया कर रहे हैं।
– सुशील मेहता ,ब्यावर
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केंद्र सरकार के पास कोई कार्य योजना नहीं
कोविड संकट के समय दलगत राजनीति से ऊपर उठना होगा। सभी राजनीतिक दलों और केन्द्र सरकार को इसका मिलकर मुकाबला करना चाहिए। किन्तु स्थिति अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग वाली हो रही है। संकट के बावजूद केन्द्र सरकार न तो सभी दलों को साथ लेकर चलना चाहती और न ही उसके पास कोई प्रभावी कार्ययोजना है। अहंकार के कारण पूरे देश में अस्थिरता के हालात पैदा हो गए है। आम जन की किसी को कोई परवाह नहीं है।
-मदन शर्मा, जयपुर
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