कोरोनाकाल में संसद के लिए नए भवन का निर्माण अनावश्यक है। अभी संसद भवन पर खर्च करना देश की प्राथमिकता कभी नहीं हो सकती। इस समय महत्त्वपूर्ण है बैरोजगारों को रोजगार के साधन उपलब्ध करवाना, महंगाई पर काबू पाना, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाकर जन-जन तक पहुंचाना। अस्पतालों में शय्या बढ़ाने, एम्बुलेंस सेवा का ग्रामीण स्तर तक विस्तार करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। आपातकालीन चिकित्सा सेवा को मजबूत करने में सरकारें विफल रही। ऐसी हालत में संसद के लिए नए भवन पर खर्च करने का विरोध तो होना ही चाहिए।
-डॉ. प्रकाश मेहता, बेंगलूरु
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नए संसद भवन का निर्माण विरोध का विषय है ही नहीं। कुछ लोगों की मानसिकता ही विरोध करने की होती है। यह मानसिकता बदलना भी संभव नहीं है। लोकतंत्र के सबसे बड़े मन्दिर में आधुनिकता और सुरक्षा दोनों का ही समावेश होगा। अत: कोई इसका विरोध करता है तो करने दें। मारते का हाथ पकड़ सकते हैं, विरोध करने वाले की जबान को नहीं पकड़ा जा सकता है। लोग कह रहे हैं कि इस पर बहुत ज्यादा खर्चा होगा, लेकिन यह खर्चा निरर्थक नहीं है। एक स्थायी सम्पत्ति बनेगी, जिसकी देश और दुनिया में शान होगी। विरोधी पार्टी के लोग भी विरोध इसलिए कर रहें हैं कि इसके निर्माण का श्रेय हमें नहीं मिलेगा, परन्तु अन्र्तात्मा से तो मानते ही हैं कि अच्छा कार्य हो रहा है।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू
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संसद का नया भवन बनने जा रहा है। आगामी समय में संसद सदस्यों की संख्या में वृद्धि की संभावना के साथ दर्शकों के बैठने की क्षमता में भी वृद्धि होगी। साथ ही इस नए भवन के परिसर में केन्द्र सरकार के सभी कार्यालयों को एक ही जगह किए जाने की योजना है। इस प्रोजेक्ट का सबसे अधिक विरोध पर्यावरण प्रेमी कर रहे हैं, जिनका कहना है कि इस निर्माण से उस क्षेत्र के हजारों पेड़ कट जाएंगे। लुटियन जोन में नई और बड़ी इमारतों के बनने से प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली में हरियाली में कमी आएगी। एक दूसरे वर्ग का कहना है कि मौजूदा संसद भवन का निर्माण हुए सौ बरस भी नही हुए हैं। इसका बेहतर रख रखाव कर आने वाले कई सालों तक प्रयोग किया जा सकता है। वे कहते हैं कि दूसरे देशों में तो हमारी संसद से भी पुरानी इमारतों में उनकी सरकारों के कार्यालय चल रहे हैं। भारत मे इस तरह की फिजूलखर्ची को रोक अन्य जनोपयोगी योजनाओं में पैसा लगाना की मांग हो रही है।
-नरेश कानूनगो, बेंगलूरु, कर्नाटक
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एक कहावत है, ‘जब रोम जल रहा था, तब नीरो बांसुरी बजा रहा था।’ देश के लिए यह समय आपातकाल से कम नहीं। जिस समय पूरी अर्थव्यवस्था अपने निम्नतम स्तर पर है और पूरे देश में महामारी और अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो रही है, रोजगार छिन जाने से जब अनेक लोगों का भविष्य अंधकार में है, उस समय इस प्रकार के खर्च करना बुद्धिमानी नहीं है। इसे कुछ समय के लिए टाला भी जा सकता था।
-सिद्धार्थ शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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नियमों को ताक पर रखकर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। पूरे निर्माण के दौरान कम से कम एक हजार हरे-भरे पेड़ काटे जाएंगे, जिससे दिल्ली का पर्यावरण और बिगड़ जाएगा। प्रोजेक्ट की मंजूरी से पहले इसका पर्यावरण ऑडिट तक नहीं करवाया गया है। ।
-अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर
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देश कोरोना महामारी से अभी उबरा नहीं है। देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, जीडीपी की विकास दर देख कर इसका पता चलता है। देश की हालत बहुत नाजुक है। देश को कोरोना से निपटने एवं वैक्सीन के लिए काफी धन की अवश्यकता है। ऐसे में 900 करोड़ रुपए खर्च करके संसद के लिए नए भवन का निर्माण करवाना ठीक नहीं माना जा सकता।
-करण सोलंकी, तखतगढ़
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इस समय पूरा देश महामारी और उससे उपजी आपातकालीन स्थिति से गुजर रहा है। देश के अधिकतर व्यक्ति रोजगार के अभाव में अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं। इस हालत में धन की बर्बादी ठीक नहीं है। संसद भवन का निर्माण कुछ समय बाद भी हो सकता है।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ
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नया संसद भवन ही क्यों सरकार द्वारा किया गया कोई भी नया काम हो, उसका विरोध करना एक तबके की आदत बन चुकी है। राजनेता चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में एक दूसरे को कमतर आंकते हैं। मैं सही, तू गलत । किसी भी कार्य का आकलन गुण दोषों के आधार पर नहीं होता। यही राजनीति का गिरता हुआ स्तर है। नए संसद भवन को बनाने का विरोध केवल मात्र राजनीतिक प्रेरित है। नया संसद भवन नवीन आधुनिक प्रौद्योगिकी से युक्त, सुरक्षित एवं भीड़-भाड़ से दूर होगा। जो समय की आवश्यकता है।
-नरेन्द्र कुमार शर्मा, मालवीय नगर, जयपुर
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संसद का नया भवन नए भारत की नई गाथा लिखने कर एक बेहतरीन प्रयास है इसको बनाने में जितनी रकम का अनुमान लगाया गया है, उससे कही अधिक रकम के घोटाले वे नेता कर चुके हैं, जो नए भवन निर्माण का विरोध कर रहे हैं।
-डॉ. रमेश चंद बैराठी, जयपुर