आमतौर पर किसी भी राज्य में शराबबंदी को शराब से होने वाली बड़ी आय में रुकावट के तौर पर देखा जाता है। राजस्व में भारी कमी आ सकती है, इस तर्क
के बहाने राज्य सरकारें शराबबंदी लागू करने से बचती रही हैं
आमतौर पर किसी भी राज्य में शराबबंदी को शराब से होने वाली बड़ी आय में रुकावट के तौर पर देखा जाता है। राजस्व में भारी कमी आ सकती है, इस तर्क के बहाने राज्य सरकारें शराबबंदी लागू करने से बचती रही हैं। पहले गुजरात, फिर केरल और अब बिहार ने इस मामले में हजारों करोड़ रुपए की संभावित आय छोड़ आंशिक शराबबंदी का साहसिक कदम उठाया है। सवाल यह है कि क्या गुजरात और केरल बहुत पिछड़े राज्य हैं? यदि ये राज्य शराब बिक्री की आय पर निर्भर नहीं हैं और बिहार जैसा पिछड़ा कहा जाने वाला राज्य यदि शराबबंदी जैसा कदम उठा सकता है तो देश में चरणबद्ध तरीके से इस दिशा में क्यों नहीं सोचा जा सकता…