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आपकी बात, देश के कुछ भागों में हिंदी का विरोध क्यों होता है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

May 03, 2022 / 02:39 pm

Patrika Desk

आपकी बात, देश के कुछ भागों में हिंदी का विरोध क्यों होता है?

विरोध राजनीति से प्रेरित
अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है, लेकिन उसका विरोध न के बराबर होता है। गैर हिंदी भाषी राज्य हिंदी का विरोध इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्हें यह भ्रम है कि अगर हिंदी सर्वमान्य भाषा बन गई तो क्षेत्रीय भाषाओं का दायरा सिमट जाएगा। हिंदी का विरोध करके कई लोगों ने अपनी राजनीति भी चमकाई है। इसीलिए हिंदी का विरोध राजनीति से प्रेरित लगता है
-शुभम वैष्णव ,सवाई माधोपुर
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भ्रामक प्रचार-प्रसार।
समाज में कुछ समाज कंटक भी होते हैं, जो समाज में तथ्यों और तर्कों से छेड़छाड़ कर सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक प्रचार-प्रसार कर भाषा, धर्म, जाति के नाम पर विवाद पैदा करते हैं। हमें समझना चाहिए कि अधिकांश भाषाओं की जननी संस्कृत है। उसी से अनेक भाषाएं निकली हंै। फिर क्यों हम भाषाओं को भाई-बंधु न बनाकर एक दूसरे की सौतन बनाने पर तुले हैं।
-एकता शर्मा
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भाषा थोपी न जाए
लोकभाषा के बिना लोकतंत्र सम्भव नहीं है। सभी भाषाओं को बराबरी का दर्जा देकर ही सांस्कृतिक एकता को मजबूत किया जा सकता है। देश में हिंदी भाषा का विरोध इसलिए होता है क्योंकि हिंदी को पूरी तरह से केंद्र की ओर से थोपी गई भाषा के तौर पर देखा जाता है।
-प्रदीप सिंह सोलंकी, कोटा
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हिंदी से डर
एक तरफ देश का एक वर्ग हिंदी के प्रचार-प्रसार को अपनी मातृभाषा पर हमले की तरह देखता है, वहीं दूसरी ओर राजनीति के कारण हिंदी का विरोध किया जा रहा।
-रघुराज धीमरी,बाड़ी, धौलपुर
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दक्षिण में ज्यादा विरोध
देश के कुछ प्रांत क्षेत्रीय भाषा तक ही सीमित हैं। दक्षिणी प्रदेशों ने हमेशा हिंदी भाषा का विरोध किया, जो सबसे बड़ा अवरोध है।
-प्रहलाद यादव, महू, मध्यप्रदेश
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भड़काया जाता है जनता को
देश के कुछ भागों में हिंदी का विरोध इसलिए होता है, क्योंकि कुछ राजनीतिक दल वहां की जनता को भड़का देते हैं। कुछ लोग ऐसी सोच बना लेते हैं कि यदि वे हिंदी अपनाएंगे, तो उनकी मातृभाषा का अपमान होगा। इसलिए वे हिंदी का विरोध करते हैं।
-खेमू पाराशर ,भरतपुर
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सभी भाषाओं का सम्मान जरूरी
हिंदी का विरोध करने वालों को समझना होगा कि हिंदी भी भारत की भाषा है। इसे भारत के करोड़ों लोग अपनी मातृभाषा मानते हैं। साथ ही किसी पर भाषा नहीं थोपी जा रही। इसलिए सभी भारतीय एक-दूसरे की मातृ भाषाओं का सम्मान करना चाहिए।
-अमरदीप झा, कोरबा, छत्तीसगढ़
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क्षेत्रीय भाषाओं का महत्त्व
भाषा कोई भी हो, सम्मान करना चाहिए। क्षेत्रीय भाषाओं का भी अपना महत्त्व है। बेशक हिंदी भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर पढ़ा जाना चाहिए, लेकिन किसी क्षेत्रीय भाषा की उपेक्षा न हो। भाषा और विचार थोपे नहीं जा सकते।
-गजेन्द्र राम
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गलत धारणा का परिणाम
देश में कुछ राज्य अपनी क्षेत्रीय भाषा को महत्व देते हैं। लोगों की गलत धारणा है कि हिंदी भाषा हम पर थोपी जा रही है। स्थानीय बोली एक मुख्य वजह है।
– शिवपाल सिंह, मेड़ता सिटी, नागौर

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