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सामयिक : हांगकांग का प्रयोग क्या ताइवान में दोहराया जाएगा ?

locationनई दिल्लीPublished: Jul 03, 2021 08:34:22 am

जिनपिंग ने इस अवसर पर कहा कि चीन का कायाकल्प होगा और चेतावनी दी कि कोई भी विदेशी ताकत अगर चीन को डराने की कोशिश करेगी, तो उसे 1.4 बिलियन लोगों की ‘ग्रेट वाल ऑफ स्टील’ से टकराना होगा।

सामयिक : हांगकांग का प्रयोग क्या ताइवान में दोहराया जाएगा ?

सामयिक : हांगकांग का प्रयोग क्या ताइवान में दोहराया जाएगा ?

जोश रोजिन, (स्तम्भकार, ग्लोबल ओपिनियन सेक्शन, द वॉशिंगटन पोस्ट)

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के स्वर्ण जयंती समारोह के राष्ट्रव्यापी आयोजनों का स्वयं नेतृत्व किया, लेकिन हांगकांग उनके इस जश्न में शामिल नहीं हुआ। जिनपिंग ने इस अवसर पर कहा कि चीन का कायाकल्प होगा और चेतावनी दी कि कोई भी विदेशी ताकत अगर चीन को डराने की कोशिश करेगी, तो उसे 1.4 बिलियन लोगों की ‘ग्रेट वाल ऑफ स्टील’ से टकराना होगा। हांगकांग के लिए 1 जुलाई का दिन उसकी आजादी और लोकतांत्रिक संस्थानों को खत्म करने वाला दिन है। वर्ष 1997 से हर वर्ष 1 जुलाई को हांगकांग के समृद्ध अतीत की स्मृति में रैलियां निकाली जाती हैं और विरोध प्रदर्शनों का वार्षिक आयोजन होता है, लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं हुआ। गत वर्ष सीपीसी ने हांगकांग के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाया। इससे हांगकांग की न्यायिक स्वतंत्रता और व्यापारिक सुरक्षा नष्ट हो गई। अधिकारियों को ऐसे अधिकार दे दिए गए कि वे प्रदर्शन करने वालों और उनकी रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों को जेल में डाल दें। गत 1 जुलाई को सड़कों पर कोई प्रदर्शनकारी दिखाई नहीं दिए, सिर्फ पुलिस ही नजर आई।

लंदन में निर्वासित हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थक छात्र नैथन लॉ के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यदि सीपीसी को समझना है तो उसे हांगकांग को देखना चाहिए, बीजिंग को नहीं। सौ साल में पार्टी में कोई बदलाव नहीं आया है। सत्ता में बने रहना और राजनीतिक हित साधना पार्टी के लिए सर्वोपरि है। वे बहुत अधिक आत्मविश्वासी और आक्रामक हो गए हैं। लोकतंत्र को खतरा मानने लगे हैं। वे इसे मिटाने और नकारने का यथासंभव प्रयास करेंगे।

हांगकांग के एक्टिविस्ट का मानना है कि उनका लोकतांत्रिक आंदोलन खत्म नहीं हुआ है, बस इसे दबा दिया गया है। विश्व समुदाय चीन पर दबाव बना सकता है कि अगर उसने हांगकांग का दमन जारी रखा, तो चीन को बहुत महंगा पड़ेगा। ध्यान रहे, अगर विश्व हांगकांग मुद्दे की अनदेखी कर देता है, तो चीन के दुस्साहसी राष्ट्रपति जिनपिंग शीघ्र ही ताइवान को भी ऐसा ही बना देंगे। जिनपिंग चीन और ताइवान के एकीकरण की मंशा काफी पहले जाहिर कर चुके हैं। पार्टी स्थापना दिवस पर भी उन्होंने इस एकीकरण को ‘ऐतिहासिक मिशन’ बताया।

अमरीकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ सदस्य डैन ब्लूमैंथल ने कहा कि हांगकांग के उदाहरण से हमें यह गंभीरता के साथ स्वीकारना होगा कि जिनपिंग जो कहते हैं, वे करते हैं। अपनी किताब ‘द चाइना नाइटमेयर’ में उन्होंने चेताया है कि सीपीसी का मृदु और आक्रामक रवैया दोनों ही खतरनाक हैं। बीजिंग झिनझियांग प्रान्त में उईगर मुसलमानों के जातीय संहार की ओर बढ़ रहा है। यहां तक कि अपने राजनीतिक हित साधने के लिए वह महामारी का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूका। पिछली एक सदी का सबक यही है कि आक्रामक, दमनकारी, विस्तारवादी, राष्ट्रवादी एकदलीय तानाशाही शासन का तुष्टीकरण उससे मुकाबला करने की तुलना में ज्यादा खतरनाक है। इस 1 जुलाई को इस बात के लिए याद रखा जाना चाहिए कि जब शी जिनपिंग कोई धमकी दें, तो मुकाबले के लिए मोर्चाबंदी की तैयारी बढ़ा देनी चाहिए।

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