नवजात शिशु को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध शुरू कर देना चाहिए। जन्म से छह महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध काफी होता है। इसके अलावा बच्चे को ऊपर से कुछ और देने की जरूरत नहीं होती है, पानी भी नहीं। हमें याद रखना होगा कि बच्चे के पेट की क्षमता शरीर के वजन की 3 प्रतिशत होती है। इसलिए तीन किलोग्राम का बच्चा एक बार में अधिकतम 90 मिलीलीटर दूध पी सकता है। अगर हम उसे पानी पिला देंगे, तो वह दूध नहीं पी पाएगा। छह माह के बाद बच्चे को ऊपर का आहार शुरू किया जा सकता है, लेकिन स्तनपान 2 साल तक जारी रखना चाहिए।
भारत में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के लिए 2019-20 में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस -5) के निष्कर्षों के अनुसार बच्चों को स्तनपान कराने की दर में सुधार हुआ है, लेकिन यह अब भी काफी कम है। महामारी के दौरान अगर मां को कोविड-19 हो जाता है, तो भी बच्चे को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए। स्तनपान के लाभ, संचरण के संभावित जोखिमों से काफी अधिक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि शिशुओं में कोविड-19 संक्रमण का जोखिम कम होता है। संक्रमण आमतौर पर हलका होता है, जबकि स्तनपान नहीं कराने के कारण मां और बच्चे के बीच पैदा हुए अलगाव के परिणाम गंभीर हो सकते हैं। हालांकि, कोविड-19 से प्रभावित महिलाओं को पर्याप्त सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे बच्चे के किसी के भी संपर्क में होने पर, यहां तक कि दूध पिलाते समय भी मेडिकल मास्क पहनना चाहिए।
कोविड-19 के दौरान बच्चों को स्तनपान करा रही माताओं को भी टीकाकरण करवाना चाहिए। यह माताओं के लिए तो सुरक्षित है ही, साथ ही शिशु को भी माता के दूध के माध्यम से आइजीए मिल जाएगा, जिससे उसे भी सुरक्षा मिलेगी। विश्व स्तनपान सप्ताह की इस साल की थीम ‘स्तनपान को बढ़ावा: एक साझा जिम्मेदारी’ है। यह इस बात को याद दिलाता है कि स्तनपान की दर बढ़ाने की जिम्मेदारी सिर्फ माता की ही नहीं, बल्कि पिता, परिवार, समाज और सरकारों की भी है। हमें देश के हर राज्य और जिले में वे सब कदम सुनिश्चित करने चाहिए, जिनसे अधिक से अधिक बच्चे माता के दूध से लाभान्वित हों।