जैवमंडल के लिए पौधों की पारिस्थितिकी से जुड़ें युवा
Published: May 12, 2023 11:22:32 pm
- अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस (आइडीपीएच): 12 मई
- किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में पौधों का होना उनके जैविक व अजैविक घटकों के परस्पर प्रभाव और एक-दूसरे पर निर्भरता का परिणाम है, इसलिए पादप स्वास्थ्य को इससे अलग नहीं माना जा सकता।


जैवमंडल के लिए पौधों की पारिस्थितिकी से जुड़ें युवा
डॉ. शशिरेखा सुरेशकुमार
वनस्पति विज्ञानी, मीठीबाई कॉलेज, मुंबई यूनिवर्सिटी में बॉटनी विभागाध्यक्ष रह चुकी हैं
....................................................................................................................... पेड़-पौधों की सेहत के लिए समर्पित अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस 12 मई को विश्व भर में मनाया जाना पौधों के स्वास्थ्य संरक्षण के लिए सराहनीय कदम है। इस बात पर गौर करना आवश्यक है कि पौधे इस जैवमंडल के उतने ही महत्त्वपूर्ण जीव हैं, जितने कि अन्य। बल्कि कहा जाना चाहिए कि सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे उत्पादक हैं जो जीवन को बनाए रखते हैं। किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में पौधों का होना उनके जैविक व अजैविक घटकों के परस्पर प्रभाव और एक-दूसरे पर निर्भरता का परिणाम है, इसलिए पादप स्वास्थ्य को इससे अलग नहीं माना जा सकता। किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र या प्राकृतिक आवास में प्रत्येक पौधे को उसकी किस्म, गुणवत्ता और वायु, जल, मृदा की मात्रा से जोडक़र देखा जाता है। ये सभी तापमान, पौधों, पशुओं और सूक्ष्म जीवों के बीच समन्वय स्थापित करने वाले पोषक सेतु के घटक हैं। ऐसा नहीं है कि पौधों का स्वास्थ्य स्थूल जलवायु अवस्थाओं से ही प्रभावित होता हो, इस पर सूक्ष्म जलवायु अवस्थाओं का भी असर पड़ता है। अगर इनमें से कोई एक भी घटक लम्बे समय तक असंगत है तो उसका पौधों पर कठोर प्रभाव पड़ता है। इससे उनकी संख्या कम हो सकती है, उनमें इतने भौतिक व शारीरिक बदलाव आते हैं कि यदि वे इन्हें सह नहीं पाएं तो विलुप्त भी हो जाते हैं। भूमि का अनुचित उपयोग और प्रबंधन के तरीके, विकास परियोजनाओं को मंजूरी, वनीकरण के लिए पौधों का अनियोजित चयन और पुन:हरितीकरण परियोजना, विदेशी किस्मों के या तेजी से फैलने वाले पौधे आदि ऐसे कारक हैं जो मृदा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। मिट्टी या उसके भौतिक, रासायनिक एवं जैविक तत्व ही सबसे पहले व सर्वाधिक आसानी से प्रभावित होते हैं।