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बिंद्रा ने कहा, ‘निश्चित रूप से खेल में मेरा लंबा कॅरियर रहा है और मैंने काफी उतार-चढ़ाव देखे। यह अजीब है कि मेरे जीवन का सबसे बड़ा मानसिक संकट असल में तब आया जब मैंने सफलता हासिल की।’
उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए सफलता से निपटना संभवत: मेरे जीवन का सबसे मुश्किल समय था। बीजिंग ओलंपिक से पहले मैंने जीवन में एक ही लक्ष्य और जुनून के साथ 16 साल तक ट्रेनिंग की कि मैं ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना चाहता हूं।’
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शूटर ने कहा कि ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उनहें समझ में नहीं आ रहा था कि उन्हें क्या करना है। बिंद्रा ने कहा, ‘एक शानदार दिन, यह सपना, यह लक्ष्य साकार हो गया। लेकिन मेरे जीवन में काफी बड़ा खालीपन आ गया। मुझे लगता है कि यह काफी चुनौतीपूर्ण था। मैं डिप्रेशन में था। मुझे नहीं पता था कि अपने जीवन के साथ क्या करना है और आगे क्या करना है।’