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दिल्ली हाफ  मैराथन में इन दिव्यांगों से सीखिए खेल भावना के मायने

Published: Nov 13, 2016 07:31:00 pm

Submitted by:

Kuldeep

समाज में ऐसे दिव्यांग भी मौजूद हैं, जो चलने-फिरने और देखने तक में मजबूर होने के बावजूद लोगों को प्रेरित करने के लिए ट्रैक पर सिर्फ उतरते ही नहीं हैं बल्कि पूरी तरह से मुकाबला भी करते हैं।

Physically Disabled

Physically Disabled

नई दिल्ली। यदि आप किसी को कहिए कि चलो किसी सामाजिक सहयोग के लिए कई मील दौडऩा है या फिर अपनी सेहत की चिंता करने के लिए ही दौड़ लगा लीजिए तो शायद 100 में से 99 लोगों का जवाब होगा कि ऐसी समाजसेवा का ठेका हमने ही ले रखा है क्या? लेकिन इन लोगों के ही बीच समाज में ऐसे दिव्यांग भी मौजूद हैं, जो चलने-फिरने और देखने तक में मजबूर होने के बावजूद लोगों को प्रेरित करने के लिए ट्रैक पर सिर्फ उतरते ही नहीं हैं बल्कि पूरी तरह से मुकाबला भी करते हैं। ऐसे ही कुछ दिव्यांग दिल्ली हाफ मैराथन का हिस्सा भी होंगे।

‘स्वच्छता’ के लिए दौड़ेंगे शारीरिक रूप से अक्षम फौजी और उनके साथी
देश की रक्षा करते हुए शारीरिक रूप से अक्षम हो गए फौजियों पर तो वैसे भी देश को फक्र होता है। लेकिन इन्हीं फौजियों में से एक ऐसा भी है, जो शारीरिक अक्षमता को भूलकर अब भी देश सेवा में अनोखे तरीके से जुटा हुआ है।


Physically Disabled runners run in Airtel marathon


‘ब्लेड रनर’ मेजर डीपी सिंह और उनकी शारीरिक रूप से अक्षम धावकों की टीम 20 नवंबर को एक बार फिर दिल्ली हाफ मैराथन के ट्रैक पर दौड़ती दिखाइई देगी। इस बार इस टीम का लक्ष्य होगा प्रोकेम इंटरनेशनल, आईएसएल की फ्रेंचाइजी दिल्ली डायनामोज के साथ मिलकर हाफ मैराथन में ‘स्वच्छ एबिलिटी रन’ को बढ़ावा देना।

देश के सात शहरों अंबाला, चंडीगढ़, कुरुक्षेत्र, पानीपत, सोनीपत, करनाल और एनसीआर में एक अभियान के तौर पर शुरू होने वाले सामाजिक अभियान ‘स्वच्छ एबिलिटी रनÓ की शुरुआत 27 नवंबर से होगी और 3 दिसंबर को इंटरनेशनल डे पर्संस विद डिसएबिलिटीज तक चलेगी। इसमें धावक स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए धावक तीन किलोमीटर या फिर 10 किलोमीटर रन में दौड़ सकते हैं।


‘बेनूर’ आंखों से दौड़ में जिंदगी का नूर तलाश रहे गुलाब
यदि आपकी आंखों में रोशनी ना हो तो क्या होगा? शायद आप अपने बिस्तर से नीचे उतरने के लिए भी कई बार सोचेंगे। लेकिन देहरादून के गुलाब भंडारी बेनूर आंखों से भी न सिर्फ जिंदगी का लुत्फ उठा रहे हैं बल्कि लगातार चार साल से दिल्ली हाफ मैराथन के ट्रैक पर दौड़कर दूसरे दिव्यांगों को भी जिंदगी जीतने के लिए उत्साहित करते हैं।


Physically Disabled runners run in Airtel marathon


46 साल के गुलाब 2009 से दिल्ली हाफ मैराथन में हर साल पहुंचते हैं और हिस्सेदारी करते हैं। 18 साल की उम्र में बीमारी के कारण अपनी आंखों की रोशनी खो बैठे गुलाब के जज्बे को देखते हुए वर्ष 2003 में उत्तराखंड सरकार भी उन्हें विकलांग श्रेणी में बेस्ट वर्कर के तौर पर नवाज चुकी है। वर्ष 2012 में भी राज्य सरकार ने उन्हें खेल अवॉर्ड और पांच हजार रुपये का पुरस्कार दिया था।

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