scriptइस भारतीय मुक्केबाज ने विदेशी प्रशिक्षकों को तरजीह दिए जाने पर सवाल उठाया | akhil kumar raised question on giving more credit to foreign trainees | Patrika News

इस भारतीय मुक्केबाज ने विदेशी प्रशिक्षकों को तरजीह दिए जाने पर सवाल उठाया

locationनई दिल्लीPublished: Mar 27, 2018 08:47:37 pm

Submitted by:

Siddharth Rai

2002 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले निशानेबाज मुराद अली ने भी अखिल जैसी ही बात कही।

akhil kumar raised question on giving more credit to foreign trainees

नई दिल्ली। अनुभवी मुक्केबाज अखिल कुमार ने मंगलवार को भारत में विदेशी प्रशिक्षकों को तरजीह दिए जाने पर सवाल उठाया। अखिल ने कहा है कि भारत में काबिल कोच होने के बावजूद विदेशी प्रशिक्षकों को ज्यादा अहमियत दी जाती है। 2002 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले निशानेबाज मुराद अली ने भी अखिल जैसी ही बात कही।

काबिल भारतीय प्रशिक्षकों के प्रति हीन रवैये के खिलाफ हैं
अखिल और मुराद मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क (एसपीएन) और दिल्ली खेल पत्रकार संघ (डीएसजीए) द्वारा राष्ट्रमंडल खेलों में जा रहे भारतीय दल को शुभकामनाएं देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे। अखिल ने हालांकि साफ किया कि वह विदेशी प्रशिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ नहीं हैं बल्कि वह उनके कारण काबिल भारतीय प्रशिक्षकों के प्रति हीन रवैये के खिलाफ हैं।

हम विदेशी प्रशिक्षकों के पीछे भागते हैं, बिना यह जाने कि वो कितने काबिल हैं
अखिल ने कहा, “भारत में, हम विदेशी प्रशिक्षकों के पीछे भागते हैं, बिना यह जाने कि वो कितने काबिल हैं और भारतीय खेल संस्कृति को कितना अच्छे से जानते हैं। हम उनकी स्टाइल और अंग्रेजी भाषा से खुश हो जाते हैं, लेकिन क्या हमने कभी खिलाड़ियों से पूछा है कि उन्हें उनके साथ काम करने में कितनी परेशानी आती है।” 2006 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को स्वर्ण दिलाने वाले मुक्केबाज अखिल ने कहा, “मैं उनकी नियुक्ति के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन यह हमारे अच्छे प्रशिक्षकों की बलि चढ़ा कर नहीं होना चाहिए। मैं हमेशा गोरी चमड़ी से लगाव की वजह को समझ नहीं पाता हूं। क्या इसकी वजह हमारा औपनिवेशिक अतीत है, मैं नहीं जानता।”

हमें भारत में युवा प्रशिक्षकों को लाना चाहिए
अखिल ने कहा कि देश को युवा प्रशिक्षकों की जरूरत है, रिटायर्ड नहीं। उन्होंने कहा, “वो कोच जो रिटायर हो चुके हैं, वो आज भी काम कर रहे हैं। हमें भारत में युवा प्रशिक्षकों को लाना चाहिए। वो हमारे सिस्टम और सच्चाई को जानते हैं और खेल के भीतर से भी जानते हैं। हमें विदेशी प्रशिक्षकों को हावी नहीं होने देना चाहिए।” अखिल की बात का समर्थन करते हुए मुराद ने कहा, “2010 राष्ट्रमंडल खेलों से पहले मुझे भारतीय निशानेबाजों को प्रशिक्षित करने को कहा गया था। मैंने कहा था कि मैं करूंगा, अगर कोई नस्लीय भेदभाव न हो तो।” उन्होंने कहा, “विदेशी कोच को भारतीय कोच से ज्यादा पैसा क्यों दिया जाता है? यह भेदभाव क्यों होता है। इसके पीछे कोई अच्छा, मानने वाला तर्क नहीं है।”

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो