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Birthday special : ऐसे जीरो से हीरो बने मिल्खा सिंह, पाकिस्तान ने दिया था फ्लाइंग सिख का ख़िताब

locationनई दिल्लीPublished: Nov 20, 2018 01:14:09 pm

Submitted by:

Siddharth Rai

पद्मश्री से सम्मानित धावक मिल्खा सिंह एथलेटिक्स में दुनियाभर में भारत का परचम लहराने के लिए जाने जाते हैं। 20 नवंबर 1929 को पाकिस्तान के गोविंदपुरा में जन्मे मिल्खा का आज 89वां जन्म दिन हैं। मिल्खा ने भारत के लिए एशियाई खेलों में 4 स्वर्ण पदक और राष्ट्रमण्डल खेल में एक गोल्ड मेडल जीते हैं।

milkha singh

Birthday special : ऐसे जीरो से हीरो बने मिल्खा सिंह, पाकिस्तान ने दिया था फ्लाइंग सिख का ख़िताब

नई दिल्ली। भारत के इतिहास में जब-जब महान धावकों को याद किया जाएगा लोगों के जहन में सबसे पहला नाम फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का नाम आएगा। पद्मश्री से सम्मानित धावक मिल्खा सिंह एथलेटिक्स में दुनियाभर में भारत का परचम लहराने के लिए जाने जाते हैं। 20 नवंबर 1929 को पाकिस्तान के गोविंदपुरा में जन्मे मिल्खा का आज 89वां जन्म दिन हैं। मिल्खा ने भारत के लिए एशियाई खेलों में 4 स्वर्ण पदक और राष्ट्रमण्डल खेल में एक गोल्ड मेडल जीते हैं।

फ्लाइंग सिख का ख़िताब पाकिस्तान ने दिया –
भारत-पाकिस्तान बंटवारे ने बहुत सारे लोगों को अनाथ और बेघर किया था जिसमें से मिल्खा सिंह भी एक हैं। बंटवारे के दौरान उनके माता-पिता की मौत हो गई थी। जिसके बाद वे अपनी बहन के साथ भारत आ गए थे और एथलीट के रूप भारतीय सेना में शामिल हो गए। मिल्खा ने साल 1956, 1960 और 1964 में ओलंपिक खेलों में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करने के अलावा 1958 और 1960 में एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता है। मिल्खा की प्रतिभा और रफ्तार को देखते हुआ उन्हें फ्लाइंग सिख का खिलाब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री फील्ड मार्शल अयूब खान ने दिया था।

रोम ओलिंपिक में पदक से चूके –
मिल्खा रोम ओलिंपिक में पदक जीतने से चूक गए थे। इस बारे में जब मिखा से पुछा गया तो उन्होंने बताया ” मेरी आदत थी कि मैं हर दौड़ में एक दफा पीछे मुड़कर देखता था। रोम ओलिंपिक में दौड़ बहुत नजदीकी थी और मैंने जबरदस्त ढंग से शुरुआत की। हालांकि, मैंने एक दफा पीछे मुड़कर देखा और शायद यहीं मैं चूक गया। इस दौड़ में कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था और मिल्खा ने 45.6 सेकेंड में दौड़ पूरी की थी।’ इस रेस में 250 मीटर तक मिल्खा पहले स्थान पर भाग रहे थे। लेकिन इसके बाद उनकी गति कुछ धीमी हो गई और बाकी के धावक उनसे आगे निकल गए थे।

ज़ीरो से हीरो तक का सफर –
बता दें साल 1958 में हुए राष्ट्रमण्डल खेल के दौरान मिल्खा सिंह एक अपरिचित नाम था। उन्हें कोई नहीं जानता था। लेकिन पंजाब के एक साधारण लड़के ने बिना किसी प्रॉपर ट्रेनिंग के साउथ अफ्रीका के मैल्कम स्पेंस को पछाड़ते हुए इतिहास रच दिया। मिल्खा ने राष्ट्रमण्डल खेल में आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल अपने नाम किया। तब से 2014 राष्ट्रमण्डल खेल में विकास गौड़ा के गोल्ड जीतने तक मिल्खा इकलौते भारतीय पुरुष एथलीट गोल्ड मेडलिस्ट थे। साल 2013 में उनके जीवन पर आधारित फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ रिलीज हुई, जिसने युवाओं को उनके जीरो से हीरो बनने की कहानी के बारे में बताया था।

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