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CWG 2018: बिहार की बेटी श्रेयसी ने जीता गोल्ड, CM नीतीश और राज्यपाल मलिक ने दी बधाई

locationनई दिल्लीPublished: Apr 11, 2018 05:21:31 pm

Submitted by:

Prabhanshu Ranjan

कॉमनवेल्थ गेम में आज भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाली श्रेयसी सिंह का ने अपनी कामयाबी का सेहरा अपनी मां के सर बांधा है।

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नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में जारी राष्ट्रमंडल खेलों के सातवें दिन बुधवार को भारत की झोली में एक और स्वर्ण पदक आया। महिलाओं की डबल ट्रैप स्पर्धा में भारत के लिए ये स्वर्ण पदक श्रेयसी सिंह ने दिलाया। इस स्वर्ण पदक के साथ ही श्रेयसी ने नया इतिहास भी रचा है। वह पहली ऐसी महिला निशानेबाज हैं, जिन्होंने डबल ट्रैप स्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता है। इससे पहले, 2006 में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पुरुष डबल ट्रैप स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था। जीत के बाद श्रेयसी ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया। साथ ही कहा कि वह अपने मरहूम दादा सुरेंद्र सिंह और पिता (मरहूम) दिग्विजय सिंह के सपनों को पूरा कर रही हैं।

नीतीश और राज्यपाल ने दी बधाई
श्रेयषी की इस कामयाबी पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल सतपाल मलिक ने बधाई दी है। राजभवन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मलिक ने कहा है कि बिहार की बेटी श्रेयसी ने राष्ट्रमंडल खेलों की महिला वर्ग की निशानेबाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर पूरी दुनिया में अपने राज्य और भारत का नाम रोशन किया है। वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी श्रेयसी को बधाई और शुभकामनाएं दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

क्या कहा श्रेयसी सिंह ने –
श्रेयसी ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि मैं सिर्फ मेरे दादा जी और पिताजी की ओर से मेरे लिए देखे गए सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रही हूं और यहीं करती रहूंगी। वे चाहते थे कि मैं देश की श्रेष्ठ निशानेबाज बनूं और मैं इसी प्रयास में लगी हूं। मैं निश्चित तौर पर बहुत घबराई हुई थी। हालांकि, आत्मविश्वास भी पूरा था। मेरे मन में केवल एक ही चीज थी कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूं और स्वर्ण पदक के लिए अपना संघर्ष जारी रखूं। इसका फल भी मुझे मिला और मैंने आखिरकार सोना जीता।

2014 में जीता था रजत पदक-
श्रेयसी ने इससे पहले, 2014 में ग्लास्गो में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में इसी स्पर्धा का रजत पदक अपने नाम किया था और इस बार वह अपने पदक का रंग बदलने में कामयाब रहीं। पीठ में दर्द होने के बावजूद वह अपने लक्ष्य से हटी नहीं और पदक लेकर ही लौटीं।

विरासत से मिली है निशानेबाजी के गुण-
श्रेयसी के दादा सुरेंद्र और पिता तथा बिहार के पूर्व राजनेता दिग्विजय सिंह ने उनके लिए इन उपलब्धियों के सपने देखे थे। दिग्विजय सिंह 1999 से अपनी मृत्यु (2010) तक राष्ट्रीय राइफल महासंघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष थे। दादा सुरेंद्र भी एनआरएआई के अध्यक्ष रह चुके थे। दादा का सपना था कि उनके परिवार से कोई इस खेल में महारथ हासिल करे, जिसे श्रेयसी बखूबी निभा रही हैं।

यूं हासिल किया स्वर्ण पदक –
श्रेयसी ने महिलाओं की डबल ट्रैप स्पर्धा के शूट-ऑफ में आस्ट्रेलिया की एमा कोक्स को एक अंक से हराते हुए स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने कुल 98 अंक हासिल किए। सभी चार स्तरों में कुल 96 अंक हासिल करने के साथ उन्होंने शूट-ऑफ में अपने दोनों निशाने सही लगाए और जीत हासिल की। एमा के भी सभी चार स्तरों में कुल 98 अंक थे, लेकिन वह शूट-ऑफ में एक सही निशाना लगाने से चूक गईं और रजत पदक हासिल किया।

अपने पिता को मानती है अपना हीरो-
अपनी जीत का श्रेय देने के बारे में श्रेयसी ने कहा कि मुझे मेरे परिवार, कोचों मानशेर सिंह और मार्सेलो ड्राडी से काफी समर्थन मिला है। मैं इन सभी को अपनी जीत का श्रेय देना चाहूंगी। श्रेयसी अपने पिता को ही अपना हीरो मानती हैं। उनके पिता ने ही उन्हें निशानेबाजी में शुरुआती दिनों में प्रशिक्षण दिया। ऐसे में पिता और दादा के साथ प्रशिक्षण के बारे में उन्होंने कहा कि मैं बचपन से इस खेल में किसी न किसी तरह जुड़ी रही हूं। मेरे पिता और दादा दोनों एनआईएआई के अध्यक्ष थे। इसलिए, मैं हमेशा निशानेबाजी की प्रतियोगिताओं और निशानेबाजों से घिरी रहती थी।

टोक्यो ओलपिंक पर है निगाहें –
प्रशिक्षण के बारे में श्रेयसी ने कहा, “दादा और पिता के निशानेबाजी से जुड़े रहने के कारण मेरे लिए कोई खास सहूलियत नहीं रही। मुझे भी हर खिलाड़ी की तरह कड़े प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा है। मेरे लिए वहीं सख्त कानून रखे गए, जो सभी के लिए होते हैं। श्रेयसी का सबसे बड़ा लक्ष्य टोक्यों में 2020 होने वाले ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतना है और इसके लिए वह पूरी तरह से तैयारी कर रही हैं।

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