मैं स्वर्ण पदक जीतने के योग्य हूं
हालांकि, उनकी बाईं आंख के ऊपर लगी चोट के कारण वह पुरुष वेल्टरवेट (69 किलोग्राम) के फाइनल में उज्बेकिस्तान के बोबो उस्मान बटूरोव से हार गए। दिनेश ने बताया, “मेरे ऊपर किसी प्रकार का दवाब नहीं है, क्योंकि मैं अभी कनिष्ठ श्रेणी से उभरकर आ रहा हूं। मेरे पास हारने के लिए कुछ नहीं है और पाने के लिए सब कुछ है। मैं इंडिया डी टीम का सदस्य था। मैं इससे नीचे नहीं जा सकता। दिनेश ने कहा, “मैं जानता था कि मैं स्वर्ण पदक जीतने के योग्य हूं, इसलिए मैं बिना किसी दवाब के लड़ा। मैं चोटिल हो गया, वरना मुझे चैंपियन बनने से कोई नहीं रोक सकता था। इस टूर्नामेंट में दिनेश भारत के लिए सबसी बड़ी खोज रहे और भारत सात स्वर्ण पदकों की तालिका में शीर्ष पर रहा। दिनेश की नजर अब राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर है। दिनेश ने कहा, “मुझे इंडिया ओपन से बहुत आत्मविश्वास मिला है। विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता को हराना मेरे करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। क्यूबा मुक्केबाजी में शीर्ष देशों में से एक है, इसलिए यह मेरे लिए एक अच्छा अनुभव रहा।”
हालांकि, उनकी बाईं आंख के ऊपर लगी चोट के कारण वह पुरुष वेल्टरवेट (69 किलोग्राम) के फाइनल में उज्बेकिस्तान के बोबो उस्मान बटूरोव से हार गए। दिनेश ने बताया, “मेरे ऊपर किसी प्रकार का दवाब नहीं है, क्योंकि मैं अभी कनिष्ठ श्रेणी से उभरकर आ रहा हूं। मेरे पास हारने के लिए कुछ नहीं है और पाने के लिए सब कुछ है। मैं इंडिया डी टीम का सदस्य था। मैं इससे नीचे नहीं जा सकता। दिनेश ने कहा, “मैं जानता था कि मैं स्वर्ण पदक जीतने के योग्य हूं, इसलिए मैं बिना किसी दवाब के लड़ा। मैं चोटिल हो गया, वरना मुझे चैंपियन बनने से कोई नहीं रोक सकता था। इस टूर्नामेंट में दिनेश भारत के लिए सबसी बड़ी खोज रहे और भारत सात स्वर्ण पदकों की तालिका में शीर्ष पर रहा। दिनेश की नजर अब राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर है। दिनेश ने कहा, “मुझे इंडिया ओपन से बहुत आत्मविश्वास मिला है। विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता को हराना मेरे करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। क्यूबा मुक्केबाजी में शीर्ष देशों में से एक है, इसलिए यह मेरे लिए एक अच्छा अनुभव रहा।”
वरिष्ठ भारतीय मुक्केबाजों का समय ख़तम हुआ
दिनेश ने आगे कहा, “मैं मनोज और मेरे भार वर्ग में मौजूद अन्य वरिष्ठ भारतीय मुक्केबाजों से कहना चाहता हूं कि उनका समय खत्म हो चुका है। अब युवा मुक्केबाजों को अपनी योग्यता दिखाने का समय है। मैं वरिष्ठ मुक्केबाजों के तौर पर उनका सम्मान करता हूं लेकिन परीक्षण के दौरान मैं दया नहीं दिखाऊंगा। हरियाणा के दिनेश ने वर्ष 2010 में मुक्केबाजी शुरू की और अभी वह पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) में कड़ी मेहनत कर रहे हैं।उन्होंने कहा, “मैं 2020 ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना चाहता हूं। अगर मैं कड़ी मेहनत करता हूं, तो मुझे मेरे लक्ष्य को हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता।”
दिनेश ने आगे कहा, “मैं मनोज और मेरे भार वर्ग में मौजूद अन्य वरिष्ठ भारतीय मुक्केबाजों से कहना चाहता हूं कि उनका समय खत्म हो चुका है। अब युवा मुक्केबाजों को अपनी योग्यता दिखाने का समय है। मैं वरिष्ठ मुक्केबाजों के तौर पर उनका सम्मान करता हूं लेकिन परीक्षण के दौरान मैं दया नहीं दिखाऊंगा। हरियाणा के दिनेश ने वर्ष 2010 में मुक्केबाजी शुरू की और अभी वह पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) में कड़ी मेहनत कर रहे हैं।उन्होंने कहा, “मैं 2020 ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना चाहता हूं। अगर मैं कड़ी मेहनत करता हूं, तो मुझे मेरे लक्ष्य को हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता।”