10 एथलीट और 12 अधिकारी शामिल होंगे इस टीम में, 06 पुरुष और चार महिला एथलीट शामिल हैं इस टीम में, 05 एथलीट दक्षिण सूडान, दो सीरिया, दो कांगो और एक इथोपिया से है
नई दिल्ली। रियो ओलंपिक में इस बार दस ऐसे एथलीट हिस्सा लेंगे जिनके पास रहने के लिए खुद का घर नहीं, राष्ट्रीय झंडा नहीं, राष्ट्रगान नहीं और न ही कोई टीम है। इनके पास है तो हौसला कुछ कर दिखाने का, जज्बा कुछ पाने का। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद (आईओसी) ने इनकी हिम्मत को देखते हुए इन्हें रियो में हिस्सा लेने की अनुमति दी है। इस टीम का नाम शरणार्थी टीम होगा।
ओलंपिक गांव होगा घर
आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाक ने कहा कि खेलों के दौरान ओलंपिक गांव ही इन एथलीटों का घर होगा। जहां ये बेघर एथलीट अन्य देशों के एथलीट के साथ रहेंगे। इस टीम के सम्मान में ओलंपिक एंथम गाया जाएगा और इस टीम के साथ स्टेडियम में ओलंपिक फ्लैग चलेगा।
चार देशों के एथलीट शामिल हैं टीम में
शरणार्थी टीम में चार देशों के एथलीट शामिल हैं। सबसे ज्यादा पांच एथलीट दक्षिण सूडान, दो-दो एथलीट सीरिया और कांगो से जबकि एक एथलीट इथोपिया का है। टीम में सीरिया की तैराक यूसरा मार्दिनी शामिल हैं जो मौजूदा समय में जर्मनी में ट्रेनिंग ले रही हैं। दक्षिण सूडान की रोज नाथीके केन्या के एक शरणार्थी शिविर में रह रही हैं। रोज मध्यम दूरी की धावक हैं। टीम में कुल छह पुरुष और चार महिला एथलीट शामिल हैं। जो तैराकी, जूडो और एथलेटिक्स स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगे। बाक के अनुसार इस टीम के जरिए आईओसी दुनिया को शरणार्थियों की समस्या से अवगत कराना चाहता है। इस टीम के जरिये दुनिया देखेगी की तमाम मुश्किलों के बावजूद भी ये एथलीट अपनी प्रतिभा से समाज में योगदान दे सकते हैं।