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खुद अवार्ड से आज तक महरूम हैं हॉकी के जादूगर

locationनई दिल्लीPublished: Aug 29, 2017 11:26:00 am

Submitted by:

Nikhil Sharma

रकार हर साल ध्यानचंद के जन्मदिन पर खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करती है, लेकिन खुद ध्यानचंद को आज तक कोई अवार्ड नहीं

Dhyan Chand

Major Dhyanchand

नई दिल्ली। 29 अगस्त के दिन 1905 में हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं। लेकिन बेहद ही चौकाने वाली बात ये है कि जिनके जन्मदिन पर ये पुरस्कार दिए जाते हैं, उन्हें ही आज तक एक भी खेल का सर्वोच्च सम्मान नहीं मिला है।

ये कैसा इंसाफ
आपको बता दें कि सरकार हर साल ध्यानचंद के जन्मदिन को बड़े ही उत्साह के साथ मनाती है। इस दिन सरकार देश के लिए शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन अवार्ड और द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित करती है। लेकिन सोचने वाली बात है कि ध्यानचंद को उनके जिंदा रहते क्या उनके मरनोप्रांत भी कोई अवार्ड नहीं मिल पाया। कांग्रेस सरकार ने उन्हें खेल रत्न के लिए जरूर मनोनीत किया, लेकिन आज भी वह इस अवार्ड से अछूते हैं।

लगाई कई ने गुहार
ध्यानचंद को खेल रत्न देने के लिए कई ओलंपियन, दिग्गज खिलाड़ियों ने भी सरकार से गुहार लगाई, लेकिन हॉकी का ये जादूगर इस अवार्ड से वंचित ही रहा। यहां तक कि सरकार ने उनके नाम से लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड भी शुरू किए, लेकिन ये अवार्ड दूसरे खिलाड़ियों को तो मिले, लेकिन ध्यानचंद को नहीं। ऐसे में सोचने वाली बात है कि सरकार जिस दिग्गज का जन्मदिन खेल दिवस के रूप में उत्साह के साथ मनाती है, उन्हें कब सरकार अवार्ड से नवाजेगी।

जब हिटलर को बनाया था दीवाना
बर्लिन ओलिंपिक के हॉकी का फाइनल भारत और जर्मनी के बीच 14 अगस्त 1936 को खेला जाना था। लगातार बारिश की वजह से मैच अगले दिन 15 अगस्त को खेला गया। 40 हजार दर्शकों के बीच उस दिन जर्मन तानाशाह हिटलर भी मौजूद था। हाफ टाइम तक भारत 1 गोल से आगे था। इसके बाद मेजर ध्यानचंद ने अपने जूते उतारे और खाली पैर हॉकी खेलने लगे। तानाशाह हिटलर के सामने उन्होंने कई गोल दागकर ओलिंपिक में जर्मनी को धूल चटाई और भारतीय हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीता।

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