अमेरिकी स्टार जिम्नास्ट बाइल्स से आगे निकलना चाहती हैं दीपा
Published: Sep 18, 2016 11:46:00 pm
बाइल्स ने रियो ओलम्पिक में चार स्वर्ण पदक अपने नाम किए और दीपा जिस स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहीं उसमें भी वह विजेता रहीं
कोलकाता। रियो ओलम्पिक में पदक से मामूली अंतर से चूकीं भारत की स्टार जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने रविवार को कहा कि उनका अगला लक्ष्य अमेरिकी की नई सनसनी सर्वोच्च विश्व वरीयता प्राप्त जिम्नास्ट सिमोन बाइल्स को पछाडऩा है। उल्लेखनीय है कि बाइल्स ने रियो ओलम्पिक में चार स्वर्ण पदक अपने नाम किए और दीपा जिस स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहीं उसमें भी वह विजेता रहीं।
दीपा ने यहां एक जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, सिमोन बाइल्स इस समय दुनिया की सर्वश्रेष्ठ जिम्नास्ट हैं। मेरा लक्ष्य उन्हें हराना है। अब मैं इस स्तर की तैयारी कर रही हूं कि यदि मैं बाइल्स को न हरा पाऊं तो कम से कम उनसे पीछे दूसरे नंबर पर जरूर रहूं। दीपा को यहां एक स्थानीय दुर्गा पूजा समिति ने रियो ओलम्पिक में उनकी उपलब्धि के लिए उन्हें सम्मानित किया।
दीपा के कोच बिशेश्वर नंदी ने इस अवसर पर कहा, हमें पूरे देश से जिस तरह का प्यार मिला है उससे हम अभीभूत हैं। मैंने खुद से एक संकल्प किया है कि तब तक आराम से नहीं बैठना है जब तक टोक्यो में होने वाले अगले ओलम्पिक में दीपा पदक नहीं जीत जातीं। अभिनेता प्रसेनजीत चटर्जी ने दीपा को सोने का मुकुट पहनाकर सम्मानित किया। समारोह में देश के प्रतिष्ठित फुटबाल क्लब ईस्ट बंगाल के पूर्व कोच बिश्वजीत भट्टाचार्य और बंगाल की रणजी ट्रॉफी विजेता टीम के कप्तान रह चुके संबरण बनर्जी भी उपस्थित थे।
त्रिपुरा की रहने वाली 22 वर्षीय दीपा ने कहा, फाइनल में अपने प्रदर्शन से मैं खुश थी। लेकिन जब मुझे पूरे देश से मिल रही प्रतिक्रिया के बारे में पता चला तब जाकर मुझे अपने प्रदर्शन पर निराशा हुई कि काश मैं पदक जीतकर अपने देश और बंगाल को को दे पाती। दीपा ने एक दिन पहले शनिवार को नई दिल्ली में हिंदी फिल्मों के महानायक अमिताभ बच्चन से मुलाकात की। दीपा ने जब अमिताभ से सेल्फी लेने का आग्रह किया तो अमिताभ का जवाब आह्लादित करने वाला था।
दीपा ने बताया, “उन्होंने (अमिताभ) कहा कि मैं तुम्हारा आधा घंटा इंतजार करूंगा। आप मेरे साथ 10 तस्वीरें खिंचवाइगा। हताश न हों। अभी आपको ढेरों सफलताएं अर्जित करनी हैं। यह तो बस शुरुआत है। दीपा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारतीय प्रशिक्षक विदेशी कोचों से कहीं बेहतर हैं और उन्होंने रियो में रजत पदक जीतने वाली पी. वी. सिंधु के कोच पुलेला गोपीचंद का उदाहरण दिया।