योगेश्वर के अच्छे प्रदर्शन के लिए 2012 में उन्हें सरकार द्वारा राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गएऔर 2013 में पद्माश्री से नवाजा गए।
2006 में दोहा में होनेवाले एशियाई खेलों के नौ दिन पहले ही योगेश्वर दत्त ने अपने पिता को खोया और उनके घुटने में चोट लगी थी। मानसिक और शारीरिक चोट के बावजूद वह उन्होंने 60 किलो वर्ग में भारत की ओर से खेला और कांस्य पदक हासिल किया। और 2014 में हुए एशियाई खेलों में योगेश्वर ने गोल्ड मैडल जीता।
योगेश्वर ने 2003 में राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। 15वीं एशियाई खेलों में उन्होंने 60 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम किया। 2010 के दिल्ली कामनवेल्थ खेलों में उन्होंने 60 किलो फ्री स्टाइल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इसके लिए उन्होंने फरजाद तराश, मेरियस रूट्स और साशा मद्यर्चयक को मात दी।
2012 में लंदन ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीतकर वें के.डी जाधव 1952, सुशिल कुमार 2008 और 2012 के बाद रैस्लिंग में पदक जीतनेवाले तीसरे खिलाडी बने। कांस्य पदक के मुकाबले के लिए उन्होंने उत्तर कोरिया के री जोंग मियोंग को हराया। 2014 में ग्लासगो के कामनवेल्थ खेलों में उन्होंने 65 किलो रैस्लिंग वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल क़िया। उन्होंने फाइनल में कनाडा के जेवोन बाल्फोर को 10-0 से हराया था।
योगेश्वर ने शादी कर दहेज़ में मात्र 1 रूपए ले कर एक मिशाल कायम की, उन्होंने कांग्रेस नेता जयभगवन शर्मा की एकलौती बेटी से शादी कर ली। 2020 टोकियो ओलिंपिक योगेश्वर का आखरी ओलिंपिक होगा क्योंकि उसके बाद उन्होंने ओलिंपिक में हिस्सा लेने से मना कर दिया है। यहाँ पर वे स्वर्ण पदक की जीत के साथ अपना करियर खत्म करना चाहेंगे।