अन्य खेल

WWE में जाने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान कविता दलाल को आज भी है इस बात का मलाल

भारतीय महिला पहलवान कविता दलाल का मानना है देश में बेटियों के साथ होने वाली भेदभाव समाज के लिए काफी गलत है।

नई दिल्लीJan 01, 2018 / 10:11 pm

Prabhanshu Ranjan

नई दिल्ली। दारा सिंह के जमाने से लेकर महाबली खली के जमाने तक भारत में प्रोफेशनल कुश्ती को पसंद करने वाले लोगों की अच्छी तादात रही है। नए जमाने में जब डब्लयूडब्लयूई की शुरुआत हुई तो भारत के पहलवानों ने भी अच्छा नाम कमाया। अब तो प्रोफेशनल कुश्ती के इस लोकप्रिय संस्करण में भारत की बेटी कविता दलाल भी पहुंच चुकी है। कविता भारत की ओर से इस टूर्नामेंट में खेलने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी है। आज कविता की शोहरत पूरे देश में फैल चुकी है। लेकिन देश की पहली महिला पहलवान और हार्ड केडी के नाम से मशहूर कविता दलाल को एक बात का आज भी मलाल है। जिसे कविता ने जींद में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा।

बेटियों से होने वाले भेदभाव से नाखुश है कविता
कविता ने कहा कि बेटियों के साथ भेदभाव एक सच्चाई है और किसी भी क्षेत्र में कुछ करने के लिए परिजनों, समाज को बेटियों का समर्थन करना चाहिये। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम के बाद बातचीत में कहा कि वह उस माहौल से उठकर डब्ल्यूडब्ल्यूई के रिंग में पंहुचीं जहां बेटियों को ऊंचा बोलने तक की इजाजत नहीं होती थी और घर की बेटियों को बाहर नहीं जाने दिया जाता था।

कविता ने बताया अपना संघर्ष
कविता ने इस कार्यक्रम में यह भी बताया कि कि उन्होंने इस माहौल से निकल कर किस तरह यहां तक पहुंची। कविता ने कहा कि मैं अपने उस बुरे दौर को याद नहीं करना चाहतीं। कविता ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाएंगी मगर उन्हें सिर्फ उस माहौल से बाहर निकलना था और उन्होंने बाहर निकलने के लिए वेट लिफ्टिंग को जरिया बनाया और उन्हें रास्ते मिलते गए। उन्होंने बताया कि इसमें उनके भाई संजय ने उनका पूरा समर्थन किया।

16 जनवरी को अमरीका जाएगी कविता
वह 16 जनवरी को डब्ल्यूडब्ल्यूई के ट्रेनिंग के लिए अमरीका जा रही हैं जहां वह तीन साल तक रहेंगी। कविता कहती हैं कि अभी खुद को और साबित करना है व देश का नाम रोशन करना है। उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि उनके सीने पर भी चैंपियन की बेल्ट हो। उन्होंने बताया कि उनके गांव में सब उनके विरोधी हो गए थे। अधिकतर लोग उनके परिवार के खिलाफ बातें करते थे लेकिन इस पूरी लड़ाई में उनका परिवार व उनका भाई संजय उनके साथ खड़ा रहा। उन्होंने कहा कि उनके पति ने भी उनका साथ दिया जिनकी बदौलत वह आज यहां पंहुची हैं।

जब हौसले हो बुलंद तो सारी परेशानी होती है दूर
कविता ने बताया कि उन्हें अर्थिक रूप से भी बहुत परेशानी आई। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि कहने को आज देश इतनी तरक्की कर रहा हो मगर अब भी बेटियों के साथ भेदभाव होता है। उन्होंने कहा कि बेटियों ने हर क्षेत्र में जिस प्रकार देश का नाम रोशन किया है उसके बावजूद कहीं ना कहीं बेटियों को समर्थन नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि यह कड़वी सच्चाई है कि एक बहुत बड़ा वर्ग आज भी यही चाहता है कि उनके यहां बेटे पैदा हों। एक सवाल के जवाब में कविता ने कहा कि उन्हें सरकार से कोई सहायता नही मिली है। जिस मुकाम पर वह पंहुची हैं सरकार को खुद चाहिए था कि वह उन्हें बुलाए और सहायत करें। उन्होंने कहा कि वह अनेक बार बड़े अधिकारियों व सरकार में मौजूद नुमाइंदों से मिल चुकी हैं मगर उन्हें न तो अब तक नौकरी मिल पाई और न ही उनकी कोई सहायता की गई।

Home / Sports / Other Sports / WWE में जाने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान कविता दलाल को आज भी है इस बात का मलाल

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.