आफरीदी फांउडेशन उठा रहा था खर्चा-
मंसूर अहमद काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी बीमारी का खर्चा शाहिद आफरीदी फांउडेशन चला रहा था। लेकिन दिल में गंभीर खराबी के बाद पाकिस्तान के डॉक्टरों ने उन्हें हृदय प्रत्यारोपण की सलाह दी थी। जिसके लिए मंसूर ने भारत से भी संपर्क किया था। मंसूर अभी 49 साल के थें। मंसूर भारत आ कर अपना इलाज कराना चाह रहे थे। पेसमेकर और स्टेंट से जुड़ी समस्या बढ़ने के बाद उनके पास हृदय प्रत्यारोपण के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। आपको बता दें कि मंसूर से पहले भी ऐसे ही गंभीर बीमारियों के कई पीड़ित भारत आकर अपना इलाज करा चुके है।
भारत से थी काफी उम्मीदें –
अहमद ने भारत से अपील करते हुए कहा था कि यहां के डॉक्टरों ने रिपोर्ट भेजी है। हमें लगता है कि बेहतर इलाज के लिए भारत बेहतर विकल्प है। अहमद ने आगे कहा कि मुझे भारत से मदद की उम्मीद है। मुझे कोई आर्थिक मदद नहीं चाहिए। भारत का मेडिकल सिस्टम काफी अच्छा है, मैं सिर्फ इस बात की उम्मीद कर रहा हूं कि जब जरूरत पड़े तो मुझे मेडिकल वीजा दिया जाएगा।
जब चर्चा में आए अहमद –
अहमद तीन बार ओलिंपिक में पाकिस्तानी टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके है। साल 1994 के वर्ल्ड कप फाइनल में नीदरलैंड्स के खिलाफ दो पेनल्टी स्ट्रोक्स रोककर अहमद काफी सुर्खियों में आए थें। भारत के बारे में बताते हुए अहमद ने कहा कि हम मैदान पर बेशक प्रतिद्वंद्वी थे। भारत के खिलाफ खेलने को लेकर मेरी कई यादें हैं। हमारे मुकाबले काफी कड़े होते थे। लेकिन रात को हम साथ बैठते और खाते थे।