कंग के कंधे पर बड़ी जिम्मेवारी वर्ष 1983 में पहली चैम्पियनिशप के बाद से ही भारत इस प्रतियोगिता में भाग लेता रहा है लकिन 2003 में लंबी कूद की महान एथलीट अंजू बाबी जार्ज के कांस्य पदक के अलावा उसने कोई पदक हासिल नहीं किया है ।हाल में भुवनेश्वर में हुई एशियाई चैम्पियनशिप में भारतीय एथलीटों द्वारा जीते गये पदक प्रशंसनीय हैं लेकिन महाद्वीपीय प्रतियोगिता में मिली सफलता का इस वैश्विक टूर्नामेंट में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।कंग के कंधे पर पिछले 34 सालों में भारतीय खिलाडी जो नही कर सके वह करने की जिम्मेवारी होगी।
नीरज चोपड़ा से नही पूरी हो पायी उम्मीद हालांकि चोपड़ा के परफॉरमेंस को देखते हुए उनसे इस चैंपियनशिप में काफी उम्मीद की जा रही थी ,लेकिन भाग्य ने चोपड़ा का साथ नहीं दिया और वो चैंपियनशिप से बहार हो गए। हालांकि चोपड़ा के बारे में पूछने पर कंग ने कहा की ग्रुप बी में क्या चल रहा था इसके बारे में मुझे ज्यादा कुछ नही मालूम है पर मुझे आर के नैर ने इस बात की जानकारी दी है कि चोपड़ा इस चैंपियनशिप से बहार हो गए हैं ,बाबजूद मैं कह सकता हूं कि चोपड़ा ने अच्छा एफर्ट लगाया था ।