समाचार पोर्टल ने दक्षिण अफ्रिका का उदहारण देते हुए भारतीय क्रिकेट में दलित खिलाड़ियों के ना होने पर सवाल उठाये हैं । साथ ही जैसे दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत खिलाड़ियों को समान मौके देने के लिए क्रिकेट में गैर-व्हाइट खिलाड़ियों के लिए कोटा शुरू किया गया। वैसा कुछ भारत में भी शुरू करने पर बल दिया है । इसके साथ ही यह सवाल भी उठाया की अगर ऐसा कुछ करने का सोचते भी हैं तो हमारे पास ऐसे क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों की सामाजिक-आर्थिक बैक ग्राउंड के बारे में सटीक डेटा भी उपलब्ध नहीं है । दलितों के बाद समाचार पोर्टल ने मुसलमानों पर भी एक अध्ययन अपने लेख में शामिल किया है । जिसके अनुसार भारत में एक अन्य अल्पसंख्यक समुदाय जिसे क्रिकेट में एक तरह से बहिष्कृत करके रख दिया गया है ।
लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए मोहम्मद कैफ ने ट्वीट किया है और सवाल किया है “कितने प्राइम टाइम पत्रकार एससी या एसटी हैं ? या आपके संगठन में कितने सीनियर संपादक अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के हैं ? खेल शायद एक ऐसा क्षेत्र या माध्यम है जिसने जाति की बाधाओं को सफलतापूर्वक तोड़ दिया है, खिलाड़ी मिलजुल कर साथ खेलते हैं । लेकिन फिर हमारे पास ऐसी पत्रकारिता है जो घृणा फैलाती है। “
आपको बता दें यह पहली बार नहीं है जब किसी क्रिकेट खिलाड़ी ने धर्म या जाति को क्रिकेट से जोड़ने पर ऐसी प्रतिक्रिया दी है । इससे पहले भी हरभजन सिंह ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की ऐसी ही एक मुद्दे पर कड़ी निंदा की थी । अक्टूबर 2017 में, संजीव भट्ट ने यह पूछा था की “टीम इंडिया में कोई मुस्लिम खिलाड़ी क्यों नहीं हैं?” तब भारत के महान स्पिनर हरभजन सिंह ने सभी धर्मों को बराबर बताया था, इसके साथ ही कहा था की कोई खिलाड़ी हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई होने से पहले भारतीय है ।