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राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय को लोकसभा से मिली मंजूरी, सभी पार्टियों में दिखी अभूतपूर्व सहमति

locationनई दिल्लीPublished: Aug 03, 2018 05:24:08 pm

Submitted by:

Prabhanshu Ranjan

संसद में जारी मानसून सत्र में आज एक अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला। आम तौर पर एक-दूसरे का छीछालेदर करने वाली पार्टियां आज इस अहम विधेयक के लिए एकमत दिखी।

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राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय को लोकसभा से मिली मंजूरी, सभी पार्टियों में दिखी अभूतपूर्व सहमति

नई दिल्ली। यूं तो भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में ज्यादातर समय सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खींचतान मची रहती है। लेकिन कई बार ऐसे मौके भी सामने आते है, जिसपर सभी पार्टियां एकमत दिखती है। लेकिन यह भी एक कटू सत्य है कि ऐसा मौका लंबे इंतजार के बाद मिलता है। खैर इस समय जारी मानसून सत्र में आज का दिन ऐसा रहा जिसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन की पार्टियों के साथ-साथ कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस भी एकमत दिखी। सभी सांसदों ने एक साथ आते हुए आज लोकसभा से पारित हुए इस खास विधेयक के बारे में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की, साथ ही इस अहम विधेयक को समय की मांग करार दिया।

पारित हुआ ये मत्वपूर्ण विधेयक –
लोकसभा से आज राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय विधेयक 2018 पारित हुआ। इस विधेयक के तहत मणिपुर की राजधानी इंफाल खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। इस विश्वविद्यालय की खास बात यह होगी कि यहां खेलकुद पर कई पाठ्यक्रम बनाए जाएंगे। जिसके तहत बच्चे प्रोफेशनल तरीके से खेलकुद की गतिविधियों को समझेंगे। इस विधेयक पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए भारतीय जनता पार्टी के अनुराग ठाकुर ने देश में खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल एवं कॉलेज स्तर पर प्रतियोगिताओं को अनिवार्य करने की मांग करते हुए कहा कि केवल एक विश्वविद्यालय की स्थापना से पर्याप्त लाभ नहीं होगा। इसके लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।

पदक सूची में भारत को नीचे देख झूक जाता है सर- ठाकुर
अनुराग ठाकुर ने देश में विभिन्न खेलों के लिए शोध एवं विकास (आरएंडडी) कार्य नहीं किये जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि खेलों में भी आर एंड डी का कार्य होना चाहिए, ताकि खिलाड़ियो को बेहतर प्रशिक्षण मिल सके। उन्होंने खेल विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय खेल महासंघों की भूमिका तय करने की भी आवश्यकता जतायी। उन्होंने कहा कि 130 करोड़ की आबादी वाले देश भारत का स्थान जब पदकों की सूची में निचले पायदान पर होता है तब शर्म से सिर झुक जाता है, लेकिन इस विश्वविद्यालय के शुरू होने से स्थिति में परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि खाली पड़े स्टेडियमों का इस्तेमाल विभिन्न आयोजनों के लिए किया जाना चाहिए।

कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सांसदों ने की पुरजोर वकालत-
कांग्रेस के थोकचॉम मेनिया ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि उनके राज्य मणिपुर में इस विश्वविद्यालय की स्थापना से अगले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय खेलों और प्रतियोगिताओं की पदक सूची में भारत का आंकड़ा निश्चित तौर पर सुधरेगा। उन्होंने मणिपुर में एक पोलो इंस्टीट्यूट स्थापित करने की मांग भी की। अन्नाद्रमुक के जी. हरि ने तमिलनाडु में ऐसी ही एक यूनिवर्सिटी स्थापित करने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस के प्रसून बनर्जी ने इस विधेयक को समय की मांग करार देते हुए खेलों में आवंटन बढ़ाने की आवश्यकता जतायी। उन्होंने स्कूलों एवं कॉलेजों में खेलों को अनिवार्य किये जाने की भी वकालत की।

अन्य पार्टियों ने भी जताई अपनी सहमति-
तेलंगाना राष्ट्र समिति के ए पी जीतेन्द्र रेड्डी ने खेलों के लिए दी जाने वाली रकम को नाकाफी करार देते हुए सरकार से आग्रह किया कि वह खेल का बजट आवंटन बढ़ाये। उन्होंने कहा कि 2016 के रियो ओलम्पिक में भारत का प्रदर्शन खराब रहा था और भारत को पदक के लाले पड़ गये थे। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद भारत पदक सूची में अपनी बेहतर स्थिति बनायेगा।

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