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Paris Paralympics 2024: भाला फेंक एफ-41 कैटेगरी में देश के लिए जीता गोल्ड, पिता की तरह पहलवान बनना चाहते थे नवदीप, पीठ के दर्द कारण छोड़ी कुश्ती

चार फुट चार इंच के नवदीप के लिए उनकी लंबाई सबसे बड़ी बाधा थी क्योंकि भाले की लंबाई ही 7.21 फुट होती है। लेकिन नवदीप ने हार नहीं मानी और इसी खेल को अपना जुनून बना लिया।

नई दिल्लीSep 09, 2024 / 11:37 am

Siddharth Rai

Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक में भारत के लिए सातवां स्वर्ण पदक जीतने वाले भाला फेंक एथलीट नवदीप सिंह शुरुआत में अपने पिता की तरह पहलवान बनना चाहते थे। पानीपत के बुआना लाखु के रहने वाले नवदीप के पिता दलबीर सिंह राष्ट्रीय स्तर के पहलवान थे, उन्होंने बचपन में नवदीप को भी इस खेल के लिए प्रोत्साहित किया। लेकिन पीठ में दर्द के चलते नवदीप ने कुश्ती छोड़ दी। 2017 में नवदीप ने पैरा एथलीट संदीप चौधरी को देखा तो उन्होंने भी भाला फेंक खिलाड़ी बनने की ठान ली।
चार फुट चार इंच है कद
चार फुट चार इंच के नवदीप के लिए उनकी लंबाई सबसे बड़ी बाधा थी क्योंकि भाले की लंबाई ही 7.21 फुट होती है। लेकिन नवदीप ने हार नहीं मानी और इसी खेल को अपना जुनून बना लिया। इस वर्ष हुई विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर पेरिस पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई किया। पेरिस में नवदीप ने एफ 41 कैटैगरी में देश को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। उन्होंने 47.32 मीटर तक थ्रो किया।
पिता के निधन के बाद टूट गए थे नवदीप
चार महीने पहले नवदीप के पिता का निधन हो गया था, जिसके बाद वे टूट गए थे। लेकिन मां और भाई ने नवदीप को हौसला दिया। परिवार के सहयोग से नवदीप उस सदमे से उबर पाए और स्वर्ण पदक जीत कर अपने पिता के सपने को पूरा किया।
29: पदक जीते भारत ने पेरिस पैरालंपिक में 18वें स्थान पर रहा भारत
07: गोल्ड मेडल
09: सिल्वर मेडल
13: ब्रॉन्ज मेडल

ईरान के सादेघ बेत ने गंवाया स्वर्ण पदक
भाला फेंक की एफ 41 कैटेगरी में हालांकि ईरान के सादेघ बेत सयाह ने 47.65 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन फिर उन्हें नियम 8.1 का उल्लंघन करने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद नवदीप के रजत पदक को स्वर्ण में अपग्रेड कर दिया गया।
सादेघ को इसलिए मिली सजा
सादेघ को अयोग्य घोषित करने का कारण नियमों का उल्लंघन है। ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों को लेकर नियम है कि इन खेलों में कोई भी खिलाड़ी किसी भी तरह का राजनीतिक प्रदर्शन नहीं कर सकता। सादेघ ने यही गलती कर दी। वह बार-बार आपत्तिजनक झंडा दिखा रहे थे जिसके कारण उन्हें सजा दी गई।

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