साथ ही गौरव ने कहा कि अभी देश में स्थिति बहुत खराब है और लॉकडाउन के कारण कई लोगों का नुकसान हुआ है। गौरव ने कहा कि उन्हें पता है कि लॉकडाउन की जरूरत है, लेकिन साथ ही इसने सड़क पर कई लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। गौरव ने कहा,’मैं सड़क पर गरीब लोगों की मदद करने के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं, कर रहा हूं। छोटे बच्चों को भोजन के लिए रोते देखना निराशाजनक है। मैंने दूसरों से भी उनकी मदद करने के लिए कहा है।’
गौरव ने आगे कहा कि उन्होंने चांदनी चौक में अपने मंदिर में लोगों के लिए खुद खाना बनाया, जहां वे महंत हैं। गौरव ने इंग्लैंड में 2016 विश्व पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीते। शुरुआत में भारोत्तोलक के रूप में शुरुआत करने वाले गौरव ने बाद में द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच भूपेंद्र धवन के मार्गदर्शन में पावरलिफ्टिंग की ओर रुख किया। लेकिन अब वे शूटिंग खेल से जुड़ चुके हैं।
गौरव ने मात्र 17 साल की उम्र में पॉवरलिफ्टिंग शुरू कर दी थी। गौरव भारत में पावरलिफ्टिंग की लोकप्रियता को बढ़ाना चाहते हैं। उनका कहना है कि हमारे देश में इस खेल की काफी संभावनाएं हैं। उनका कहना है कि वे संन्यास लेने के बाद पूरे भारत में इस खेल को और लोकप्रिय बनाने के लिए खुद को कोचिंग के लिए समर्पित करना चाहते हैं।