नरसिंह मामले में साई और नाडा के अधिकारी शामिल: WFI
Published: Aug 24, 2016 12:01:00 am
गौर हो विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने डोप टेस्ट में फेल होने पर नरसिंह यादव पर चाल साल का प्रतिबंध लगाया था
नई दिल्ली। डोपिंग के चलते रियो ओलंपिक खेलने से चूकने वाले भारतीय पहलवान नरसिंह यादव के केस में अब एक नया मोड़ आ गया है। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने नरसिंह मामले में अपने रवैये पर कायम रहते अब यह आरोप लगाया है कि इस रेसलर के डोपिंग में फंसने के पीछे साई और नाडा के कुछ जूनियर अधिकारियों का हाथ है। गौर हो विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने डोप टेस्ट में फेल होने पर नरसिंह पर चाल साल का प्रतिबंध लगाया था।
इसी प्रतिबंध के चलते नरसिंह हाल ही में संपन्न हुए रियो ओलंपिक में भाग नहीं ले सके थे। उन्हें 74 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में भारत की ओर से उतरना था लेकिन इस आरोप के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया। ओलंपिक में वाडा ने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के नरसिंह को क्लीन चिट देने के फैसले को चुनौती दी थी जिसके बाद CAS ने अपना फैसला सुनाते हुए भारतीय रेसलर को दोषी करार दिया था।
डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, हमें वहां (रियो में) CAS की सुनवाई के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातें पता चली। जब विश्व संस्था (वाडा) ने नाडा से पूछा कि इतनी कम अवधि में नरसिंह का डोप परीक्षण क्यों किया गया तो तब नाडा ने खुलासा किया कि चार जुलाई को साई सोनीपत के जूनियर अधिकारी (रमेश) ने उन्हें लिखित शिकायत करके कहा कि सेंटर में कुछ खिलाड़ी प्रतिबंधित दवाईयां ले रहे हैं।
सिंह ने कहा, इस शिकायत के आधार पर हमने उसका फिर से डोप परीक्षण किया गया। जिन लोगों ने भोजन या पेय पदार्थ में प्रतिबंधित पदार्थ मिलाया था वे सुनिश्चित नहीं थे कि उन्होंने 25 जून को पहले परीक्षण से पूर्व (23 और 24 जून को) इसे सही तरह से अंजाम दिया या नहीं। इसलिए उन्होंने दोबारा से चार जुलाई को नाडा टीम को फिर से परीक्षण करने के लिये शिकायती पत्र भेज दिया। नरसिंह के मूत्र का नमूना 25 जून को लिया गया जिसमें प्रतिबंधित पदार्थ पाया गया। इसके बाद पांच जुलाई को लिये गये नमूने भी उनका परीक्षण पॉजीटिव पाया गया।