यह कार्यक्रम महिला एंव बाल विकास मंत्रालय द्वारा दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित किया जाएगा। इस बात की पुष्टि कविता के भाई संजय दलाल ने ये कहते हुए किया कि इस रविवार कविता को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रण किया गया। इस आमंत्रण से पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन कविता के यहां तक पहुंचने का सफर काफी मुश्किलों भरा था। कविता की शादी साल 2009 में यूपी के बड़ौत में रहने वाले गौरव से हुई और फिर परिवार के चलते खेल की दुनिया से उन्हें दूर जाना पड़ा। लेकिन इस बात को वो नहीं मान सकीं जिसके चलते कविता ने अपने परिवार वालों को मनाया और फिर रेसलिंग में आ गई। इस खेल जगत में कविता राजनीति की भी शिकार हुई।
पटियाला स्पोर्ट्स सेंटर में एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के दौरान उन्हें एक दवाई खिला दी गई जिस कारण डोपिंग टेस्ट में वो फंस गई और उन पर चार साल का बैन लग गया। बैन के बाद उन्होंने और भी कड़ी मेहनत की लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया। फिर एक दिन अचानक जालंधर स्थित खली के अकादमी में कविता ने नेशनल रेसलर बुलबुल को ग्रामीण सूट पहनकर ही हरा दिया जिससे खली काफी प्रभावित हुए और उन्हें रेसलिंग में आने का न्यौता दिया । ट्रायल में चयन होने के बाद उनसे कॉन्टे्रक्ट साइन कराया गया। कविता का कहना है कि वेट लिफ्टिंग में न पैसा मिलता है और न ही सरकार का प्रोत्साहन और इन्हीं कारणों से तंग आकर वो रेसलिंग की दुनिया में आ गई। आज भी कविता रोज़ाना आठ घंटे की प्र्रेक्टिस करती है। कविता से जब ये पूछा गया कि वो सूट पहनकर ही क्यों रेसलिंग करती है तो इस सवाल पर उसने कहा कि ऐसा करने के पीछे उनका केवल ये ही मकसद है कि गांव की लड़कियां भी उन्हें देखकर प्रोत्साहित हो और खुद को कभी किसी से कम न समझें।