सत्ता में वापसी के बाद और भी ताकतवर हुए मोदी, दुनिया में बढ़ा कद
गुरुनानक देव का घर नष्टबताया जा रहा है कि इस घर के के निर्माण में पुरानी ईंटें, रेत, मिट्टी और चूना पत्थर आदि का इस्तेमाल किया गया था। इमारत में 16 बड़े कमरे थे। इस ऐतिहासिक इमारत में कम से कम तीन खूबसूरत दरवाजे और कम से कम चार झरोखे लगे हुए थे। कमरों का निर्माण बड़ी चौड़ी दीवारों के साथ किया गया था।उन पर लकड़ी के दरवाजे लगे थे, जिन पर फूलों की नक्काशी की गई थी। सभी कमरे हवादार थे और उनकी दीवारों में छोटे-छोटे दीपक लगे थे। छतों में विभिन्न आकारों के लकड़ी के बीम का उपयोग किया गया था। बताया जा रहा है कि इस इमारती लकड़ी की कीमत हजारों रुपये प्रति फुट है। इमारत के चारों तरफ छोटी पुरानी ईंटों की बाउंड्री बनी हुई थी। इसे सिख धर्म के संस्थापक बाबा गुरु नानक के चित्रों के साथ सजाया गया था। डॉन न्यूज से बात करते हुए एक स्थानीय निवासी मुहम्मद असलम ने कहा, “इस पुरानी इमारत को बाबा गुरु नानक का महल कहा जाता है और हमने इसका नाम महलन रखा है। भारत सहित दुनिया भर के कई सिख इस इमारत के दर्शन के लिए आते थे।”
कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा इमारत के विध्वंस के बारे में सरकार को सूचित किया गया था, लेकिन किसी अधिकारी ने कोई कार्रवाई नहीं की और किसी ने इस इमारत को देखने की जहमत नहीं उठाई। स्थानीय निवासियों का दावा है कि इमारत के तीन मंजिले पहले ही ध्वस्त हो चुकी हैं और आसपास कई मकानों का निर्माण हो चुका है। प्रभावशाली लोगों ने इमारत को संस्कृति विभाग की मिलीभगत से ध्वस्त कर दिया है और इसकी महंगी खिड़कियां, दरवाजे, रोशनदान और लकड़ियाँ बेच दी हैं। मुहम्मद अनवर नाम के निवासी ने इमारत के मालिक होने का दावा किया। उन्होंने दावा किया कि विभाजन के बाद उनके पूर्वजों ने इस इमारत में रहना शुरू कर दिया। उधर नरवाल उपायुक्त वहीद असगर, जो इस क्षेत्र में सभी संपत्तियों के रिकॉर्ड के प्रभारी हैं, उन्होंने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में इस इमारत का कोई उल्लेख नहीं है। स्थानीय लोगों ने प्रधानमंत्री इमरान खान से इस ‘विरासत स्थल’ के नष्ट होने के तत्काल संज्ञान लेने और इसे ध्वस्त करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
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