Pakistan: 6 साल में 22 हजार रेप की घटनाएं दर्ज, सिर्फ 77 दोषियों को मिली सजा
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तान ( Pakistan ) में पिछले 6 वर्षों में 22 हजार से अधिक रेप की घटनाएं ( Rape Case ) दर्ज की गई हैं। इनमें से सिर्फ 0.3 फीसदी यानि 77 दोषियों को ही अब तक सजा मिली है।
- सबसे अधिक बलात्कार के मामले बलूचिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर (PoK), सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में दर्ज किए गए हैं।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के लड़कियों का अपहरण, बलात्कार और हत्या जैसी घटनाएं लगातार होती रही हैं। पर अब एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जो पाकिस्तान के काले चेहरे को बेनकाब करता है।
दरअसल, पाकिस्तान में रेप ( Rape Case In pakistan ) जैसी जघन्य घटनाओं में काफी तेजी देखी जा रही है। देश की कई एजेंसियों की ओर से जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले 6 वर्षों में रेप की 22 हजार से अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं। सबसे बड़ी और चौंकाने वाली शर्मनाक बात ये है कि इनमें से सिर्फ 0.3 फीसदी यानि 77 दोषियों को ही अब तक सजा मिली है।
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पाकिस्तान में हर दिन औसतन 11 लड़कियों व महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं घटती है। ये आलम तब है जब कि इन मामलों को दर्ज किया गया है, लेकिन ऐसी हजारों रेप की घटनाएं दर्ज नहीं की जाती हैं।
बता दें कि ये आंकड़े पुलिस, कानून और न्याय आयोग, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग, महिला फाउंडेशन और प्रांतीय कल्याण एजेंसियों से प्राप्त किए गए हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, यदि दर्ज नहीं किए गए आंकड़ों को मान लिया जाए तो रेप की घटनाओं की संख्या 60 हजार से भी अधिक हो सकती है। सबसे अधिक बलात्कार के मामले बलूचिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर (PoK), सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में दर्ज किए गए हैं।
इमरान सरकार ने रेपिस्टों के लिए बनाए हैं सख्त कानून
आपको बता दें कि देश में बढ़ती रेप की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने अभी हाल ही में एक सख्त कानून बनाया है। इमरान सरकार ने नए कानून में ये प्रावधान किया है कि रेप के आरोपियों को इंजेक्शन देकर बधिया यानि कि उन्हें नपुंसक बना दिया जाएगा।
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पाकिस्तान की कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नए दुष्कर्म रोधी अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए जिसके बाद से यह कानून बन गया। इस कानून के तहत रेप के केसों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन करने का भी प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि रेप के मामलों की सुनवाई चार महीने में पूरी करनी होगी।
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