पाकिस्तान की संसद ( Pakistan Parliament ) ने इमरान सरकार के तमाम दावे और हकीकत की पोल खोलकर रख दी है। दरअसल, पाकिस्तान की संसद ने यह स्वीकार किया है कि हिन्दुओं का जबरन धर्मांतरण और अत्याचार किया जा रहा है। पाकिस्तान की संसदीय समिति ने यह माना है कि सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह से नाकाम रही है।
बता दें कि अभी हाल ही में सीनेटर अनवारुल हक काकर की अध्यक्षता में एक कमिटी गठित की गई थी। इस कमिटी ने जबरन धर्म परिवर्तन मामलों को लेकर सिंध प्रांत के कई इलाकों का दौैरा किया। मुआयना करने पर इसमें कमिटी ने पाया कि बड़े पैमाने पर हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है और अभी भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी है।
अल्पसंख्यकों के धर्म की रक्षा करने में सरकार विफल
संसदीय समिति के अध्यक्ष अनवारुल हक ने अपने जांच निष्कर्ष में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने में सरकार पूरी तरह से विफल रही है। संघीय सरकार ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के साथ जितने भी अत्याचार के मामले सामने आए उसमें अधिकांश धर्मांतरण के हैं।
अनवारुल ने कहा कि कुछ मामलों में यह दलील दी गई कि लड़कियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए इन कार्यों को किया गया है। लेकिन इसे पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक आधार या लालच देकर किया गया कार्य भी जबरिया धर्म परिवर्तन की श्रेणी में ही है।
संसदीय समिता ने खुलासा किया है कि हिन्दू लड़कियों के धर्मांतरण के लिए कई तरह के लालच दिए जाते हैं। ऐसा करने वालों को ये सोचना चाहिए कि क्या वे अपने घर की लड़कियों के साथ ऐसा करेंगे। संसदीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मांतरण के ज्यादातर मामले संगर, घोटकी, सक्कर, खैरपुर, मीरपुर खास और खैबर पख्तूनख्वा से सामने आ रहे हैं। पंजाब के कुछ हिस्से में ईसाई युवतियों के धर्मांतरण के भी मामले सामने आए हैं।