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पाकिस्तान में मसूद अजहर और हाफिज सईद के मदरसों पर बैन, जानिए क्या है जमीनी हकीकत

locationनई दिल्लीPublished: May 14, 2019 09:43:00 am

Submitted by:

Mohit Saxena

पाक में आतंकियों के कई सबूत मिले
पाकिस्तान की सेना ही इन हमलों में शामिल
सरकारी नियंत्रण में चलेंगे मदरसे

madarsa

पाकिस्तान में मसूद अजहर और हाफिज सईद के मदरसों पर बैन, जानिए क्या है जमीनी हकीकत

लाहौर। पाकिस्तान बीते एक दशक में दुनिया की नजरों से उतर चुका हैै। विश्व के किसी भी कोने में कोई भी आतंकी घटना होती है, तो इसके तार पाकिस्तान से जोड़े जाते हैं। इमरान सरकार इस छवि को सुधारने की कोशिश में लगी है, मगर अब बहुत देर हो चुकी है। भारत पर लगातार हो रहे हमले में सीमापार से आए आतंकियों से ऐसे कई सबूत मिले हैं, जिसमें सामने आया है कि पाकिस्तान की सेना ही इन हमलों में शामिल है। विश्व के दबाव में आकर अब पाक सरकार के पास कड़े कदम उठाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। वैश्विक आतंकी मसूद अजहर और हाफिज सईद को लेकर वह काफी सर्तक हो चुकी है। पाक सरकार उनके द्वारा चलाए जा रहे मदरसों और संस्थाओं को बैन लगा रही है।इनके संगठन जैश-ए-मोहम्मद और जमात-उद-दावा ने अपनी जड़ें पाकिस्तान में फैला ली हैं। करीब 80 प्रतिशत मदरसे और संस्थाएं इन संगठनों की मदद से चल रहे हैं। यहां पर आतंकी की नई फसल को तैयार किया जाता है। युवाओं और बच्चों के दिलों में नफरत का जहर घोलकर उन्हें सीमापार युद्ध लड़ने के लिए भेजा जाता है।
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30 हज़ार से अधिक मदरसे

हाल ही में पाकिस्तान की सेना ने ऐलान किया है कि 30 हज़ार से अधिक मदरसों को सरकारी नियंत्रण में लिया जाएगा। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ ग़फ़ूर ने इस बात की घोषणा की। यह पहली बार है कि जब सरकार की तरफ से नहीं बल्कि सेना की तरफ से इस तरह का ऐलान हुआ है। इसका मतलब है कि यह काम खुद सेना ने अपने हाथ में ले लिया है। सभी जानते हैं कि पाकिस्तान में भले ही किसी सरकार हो मगर चलती सेना की है। मगर सवाल सबसे बड़ा ये है कि तीस हजार मदरसों का चुनाव कैसे होगा। एक रिपोर्ट के आधार पर मसूद और सईद जैसे आतंकियों द्वारा ही इन मदरसों को संचालित किया जाता है। जब तक सेना इन दोनों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करती है, तब तक इन मदरसों पर नियंत्रण पाना मुश्किल होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान में चल रहे मदरसों में पढ़ाई का तरीका अच्छा नहीं है, जिससे चरमपंथी विचारधारा बनती है। इसलिए उन्हें मुख्यधारा के स्कूलों में लाने की ज़रूरत है।
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कोई टाइमलाइन अभी तक नहीं बताई

पेशावर में स्कूल हमले के बाद नेशनल एक्शन प्लान बना था। इसके तहत चरमपंथ पर काबू पाने की बात कही गई थी। इसमें स्कूलों और मदरसों में जो चरमपंथ है उसपर भी काबू पाने की बात कही गई थी। ये सब बहुत धीमी गति से चल रहा था। मगर सोमवार को सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ गफ़ूर ने ऐलान करके यह जता दिया कि अब इस पर तेजी दिखाई जा सकती है। नेशनल एक्शन योजना के तहत तीस हज़ार मदरसों को पाकिस्तान के शिक्षा मंत्रालय के तहत लाया जाएगा। इसे तीन चरणों में किया जाएगा। पाकिस्तान की सेना ने इसे लागू करने को लेकर कोई टाइमलाइन अभी तक नहीं बताई है। सेना का कहना है कि इस पर संसद में चर्चा होगी, जो अगले चार से छह हफ्तों में शुरू हो जाएगी। ये हैरान करने वाली बात है कि पाकिस्तानी सेना बता रही है कि संसद ये करने जा रही है। हालांकि संसद को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसके अलावा खैबर पख़्तूनख्वा, जहां इमरान ख़ान की हुकूमत रही है, उन्होंने मौलाना समी उल हक के मदरसा जो हक्कानी नेटवर्क का समर्थन करता है, उसे मदद दी है। उसे सरकार की तरफ से काफी पैसे दिए गए। कहा कि इसके जरिए उन्हें मुख्यधारा में लाया जाएगा। आने वाले समय में देखना होगा पाकिस्तान इस मामले में कितना गंभीर है।
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