पाली। जिले के रोहट की निम्बली ब्राह्मणान में हुई 18वीं स्काउट-गाइड राष्ट्रीय जम्बूरी देश-विदेश के स्काउट-गाइड पर अलग ही छाप छोड़ गई। चार जनवरी को शुरू हुआ जम्बूरी का ये सफर 10 जनवरी को फिर मिलने के वादे के साथ थम तो गया। लेकिन, इसमें सहभागिता निभाने वाले बालचर व शिक्षक राजस्थान की मिठास को भुलाए नहीं भूल पाएंगे। एडवेंचर गतिविधियों के साथ ही यहां हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देश-विदेश की संस्कृतियों का समागम सा नजर आया। अलग-अलग वेशभूषाएं व अलग-अलग लोक नृत्यों के बावजूद यहां एकता का जो संगम नजर आया, वह अनूठा ही रहा। राजस्थान को ये मौका करीब छह दशक बाद मिल पाया। इससे पहले राजस्थान में 1956 में जयपुर में स्काउट-गाइड की राष्ट्रीय जम्बूरी हुई थी, तब इसमें सहभागिता निभा चुके पूर्व स्काउटर भी इस जम्बूरी की तारीफ किए बिना नहीं रह सके।
पाली। जिले के रोहट की निम्बली ब्राह्मणान में हुई 18वीं स्काउट-गाइड राष्ट्रीय जम्बूरी देश-विदेश के स्काउट-गाइड पर अलग ही छाप छोड़ गई। चार जनवरी को शुरू हुआ जम्बूरी का ये सफर 10 जनवरी को फिर मिलने के वादे के साथ थम तो गया। लेकिन, इसमें सहभागिता निभाने वाले बालचर व शिक्षक राजस्थान की मिठास को भुलाए नहीं भूल पाएंगे। एडवेंचर गतिविधियों के साथ ही यहां हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देश-विदेश की संस्कृतियों का समागम सा नजर आया। अलग-अलग वेशभूषाएं व अलग-अलग लोक नृत्यों के बावजूद यहां एकता का जो संगम नजर आया, वह अनूठा ही रहा। राजस्थान को ये मौका करीब छह दशक बाद मिल पाया। इससे पहले राजस्थान में 1956 में जयपुर में स्काउट-गाइड की राष्ट्रीय जम्बूरी हुई थी, तब इसमें सहभागिता निभा चुके पूर्व स्काउटर भी इस जम्बूरी की तारीफ किए बिना नहीं रह सके।