नई दिल्ली निवासी विजय (54) पुत्र बसंतलाल जैन पेश से एडवोकेट है। पांच भाईयों में वे सबसे छोटे विजय है। जो पिछले कई वर्षों से दिल्ली में वकालात कर रहे थे। जैन संत संघशास्ता सुर्दशनलाल के प्रवचन व जीवन से प्रेरणा लेकर उनके मन में वेराग्य पथ पर अग्रसर होने का विचार करीब 25 पूर्व ही आया। इसके चलते परिवार वालों के लाख जोर देने के बाद भी उन्होंने शादी नहीं की।
मां की आज्ञा मिली तो वेराग्य पथ पर हुए अग्रसर जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ के अध्यक्ष छगनलाल लोढ़ा ने बताया कि मुमुक्षु विजय जैन ने करीब 25 वर्ष पूर्व अपने परिजनों को अपने मन के विचारों से अवगत करवा दिया था लेकिन उनकी मां ज्ञानुदेवी इसके लिए राजी नहीं हुई। जिस पर उन्होंने मां की सेवा में जीवन बिताना अपना लक्ष्य बना लिया। आज उनकी मां ज्ञानुदेवी की उम्र 92 वर्ष के करीब है। कुछ दिनों पूर्व ज्ञानुदेवी ने अपने बेटे विजय को बुलाकर कहा कि अब में जीवन में आखिर पड़ाव पर हूं, उम्र भी काफी ज्यादा हो गई है। अब वे (विजय) वेराग्य लेने का अपना सपना चाहे तो पूरा कर सकते है। मां की आज्ञा मिलते ही विजय जैन ने परिवार के अन्य लोगों को मना लिया ओर दीक्षा लेने की तैयारी शुरू कर दी।
सादगी पूर्ण समारोह में 18 को लेंगे दीक्षा
शहर के जूनी कचहरी परिसर में स्थित जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ सामायिक स्वाध्याय भवन में 54 वर्षीय विजय जैन दीक्षा लेकर वेराग्य पथ पर अग्रसर होंगे। जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ के सचिव रंजनीश कर्नावट ने बताया कि जैन संत बहुश्रुत जयमुनि, प्रभावी व्याख्यानी आदिश मुनि, अजयमुनि, दिनेश मुनि व विनित मुनि के सान्न्धिय में विजय जैन का दीक्षा समारोह सादगी पूर्ण रूप से 18 जनवरी को जूनी कचहरी स्थित सामायिक स्वाध्याय भवन में आयोजित किया जाएगा।