मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान के विभिन्न जिलों के ये मजदूर बेंगलूरु में काम करते थे। लॉकडाउन की घोषणा के बाद ये मजदूर रोजगार व भोजन को लेकर संकट की स्थिति बनने के बाद ट्रकों व मालवाहक वाहनों से अपने गांव के लिए रवाना हो गए लेकिन कर्नाटक की सीमा पर स्थापित चेकपोस्ट पर वाहनों को पुलिस ने रोक दिया। ये मजदूर दो दिन से धूलखेड़ा चेकपोस्ट के पास फंसे थे। रविवार को जिला प्रशासन ने इस मजदूरों की सुध ली। जानकारी मिलने पर जिलाधिकारी वाई.एस.पाटिल, जिला पुलिस अधीक्षक अनुपम अग्रवाल और जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोविंद रेड्डी ने चेकपोस्ट पर जाकर प्रवासी श्रमिकों से बात की। मजदूरों की हालत देख कर अधिकारियों ने उन्हें पश्चिम-पूर्व कर्नाटक सडक़ परिवहन निगम की बसों से उनके गांंव तक पहुंचाने का फैसला किया।
अग्रवाल ने बताया कि 2437 मजदूरों को स्वास्थ्य जांच के बाद बसों में भेजा गया। जिलाधिकारी पाटिल ने सात अधिकारियों के एक दल के साथ इन मजदूरों को भेजा। सभी मजदूरों को अगले तीन दिन के लिए भोजन, नाश्ते के पैकेट, पानी की बोतलें, बिस्कुट, सूखे मेवे, दवाएं और अन्य जरूरी चीजों देकर भेजा गया है। उनके साथ चार चिकित्सक और दस स्वास्थ्य कर्मचारी भी गए हैं। मजदूरों ने जिला प्रशासन की पहल पर खुशी जताई। घर के लिए रवाना होने पर मजदूरों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।