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पाली

स्वच्छता की बात बेमानी, स्कूलों में हाथ धोने का साबुन खरीदने तक के रुपए नहीं दे रहे, पढ़ें पूरी खबर…

-स्कूलों में कम्पोजिट ग्रांट के 4.47 करोड़ रुपए बकाया
4.47 Crore outstanding of Composite Grant in schools of Pali : -केन्द्र सरकार की ओर से दी जाती है राशि

पालीJan 20, 2020 / 05:56 pm

Suresh Hemnani

स्वच्छता की बात बेमानी, स्कूलों में हाथ धोने का साबुन खरीदने तक के रुपए नहीं दे रहे, पढ़ें पूरी खबर...

स्वच्छता की बात बेमानी, स्कूलों में हाथ धोने का साबुन खरीदने तक के रुपए नहीं दे रहे, पढ़ें पूरी खबर…

पाली। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के साथ अन्य गतिविधियां करवाने और स्कूल को सुंदर बनाने के लिए कम्पोजिट ग्रांट के तहत राशि दी जाती है। जो इस बार परीक्षा का समय आ जाने के बावजूद अब तक मुहैया नहीं कराई गई है। हालात यह है कि स्कूलों में रजिस्टर व परीक्षा सामग्री (उत्तर पुस्तिका व पेपर छपवाने) के लिए भी संस्था प्रधानों को अपनी तनख्वाह का उपयोग करना पड़ सकता है। बच्चों को हाथ धुलवाने के लिए साबुन और टॉयलेट की सफाई के लिए क्लीनर और ब्रश भी उधारी में लाना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार के शिक्षा को बढ़ावा देने के दावों की पोल खुल रही है। हालात यह है कि पाली जिले के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ही इस मद के 4.47 करोड़ रुपए बकाया चल रहे हैं।
अब तक इतनी ही दी राशि
जिले के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के 478 विद्यालयों के लिए अभी तक महज 25 प्रतिशत (75 लाख) रुपए ही दिए गए है। इस तरह अभी 2 करोड़ 25 लाख रुपए बकाया है। जिले के 1781 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 50 प्रतिशत राशि देने के बावजूद 2 करोड़ 22 लाख रुपए अभी दिए जाने शेष है।
पिछले वर्ष सितम्बर तक आ गया था रुपया
कम्पोजिट ग्रांट के तहत पिछले सत्र में अगस्त व सितम्बर में पूरी राशि दे दी गई थी। इस कारण संस्था प्रधानों को किसी तरह की परेशानी नहीं हुई थी। इस बार जनवरी आधा गुजरने के बाद भी राशि अटकी हुई है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार उन्होंने बिल भेज दिए है, जो ट्रेजरी में अटके हुए है।
परेशानी प्रारम्भिक शिक्षा में
प्रारम्भिक शिक्षा के विद्यालयों में छात्र कोष के नाम पर कोई राशि नहीं मिलती है। वहां कम्पोजिट ग्रांट की राशि नहीं मिलने के कारण कई कार्य अटके हए है। हालांकि माध्यमिक व उच्च माध्यमिक में यह राशि नहीं आने पर संस्था प्रधान छात्रकोष से राशि लेकर कार्य कर रहे हैं।
बिल बनाकर भेजे
कम्पोजिट ग्रांट की राशि इस बार अटकी हुई है। हमने बिल बनाकर ट्रेजर में भेज दिए है। वे पास भी हो गए है। वहां से राशि आने पर स्कूलों को दी जाएगी। इस राशि से स्थाई सामग्री की खरीद नहीं की जाती है। -प्रकाश सिंघाडिय़ा, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक, समसा, पाली
यह करवाने होते हैं कार्य
-बच्चों के हाथ धोने के साबुन, फिनाइल, नेल कटर, टॉयल के ब्रश आदि
-कुर्सी, टेबल, श्याम पट्ट, दीवार की आंशिक मरम्मत आदि करवाना
-विद्यालय में रंगाई व पुताई करवाना
-विद्यालय में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ पुलिस, एम्बुलेंस व अग्निशमन केन्द्रों के नम्बर आदि लिखवाना
-प्राथमिक उपचार पेटी के लिए मेडिकल सामग्री का क्रय करना
-शिक्षक व छात्र उपस्थिति पंजिका, आवागमन पंजिका, स्टॉक रजिस्टर, रजिस्टर, चॉक व डस्टर आदि क्रय करना
-बच्चों के बैठने के लिए टाट पट्टी, दरी और चटाइयां आदि खरीदना
-इंटरनेट का बिल भरना, बिजली उपकरणों की मरम्मत करवाना
-अध्ययन के ग्लोब, चार्ट आदि का क्रय करना
-दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए टीएलएम की सामग्री क्रमय करना
-प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार देने के लिए पेन, पेंसिल, लंच बॉक्स, कहानियों व पेंटिंग आदि की पुस्तकें खरीदना

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