कोरोना महामारी का कहर शुरू होते ही इम्यूनिटी बढ़ाने के नुस्खे आम हो गए हैं। हर कोई इम्यूनिटी बढ़ाने का जतन कर रहा है। खासतौर से इंटरनेट पर ऐसे प्रचार की बाढ़ आई हुई है। ज्यादातर लोग चिकित्सकीय परामर्श की बजाय इंटरनेट को ही गुरु मानकर तरह-तरह के नुस्खे आजमा रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार यह प्रयोग घातक साबित हो सकता है। किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक की सलाह के बिना कोई भी औषधी का लंबे समय तक उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। चिकित्सकों का कहना है कि यहां मसालेदार खान-पान का चलन है। लोंग, हल्दी इत्यादि कई चीजें खाने में उपयोग होती है। इसके बाद अलग से ऐसी चीजों का असीमित सेवन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
-वयस्क को दिन में एक बार 20 एमएल अधिकतम और बच्चे को 5-10 एमएल गर्म काढ़ा पिलाना स्वास्थ्यवद्र्धक है। सामान्य नाश्ता करने के बाद ही काढ़ा पीना उपयोगी रहता है। यह एक सप्ताह से अधिक उपयोग न करें। कम से कम एक सप्ताह का गेप देने के बाद पुन: शुरू किया जा सकता है।
-दूध में हल्दी की मात्रा चुटकी भर होनी चाहिए। दस साल से छोटे बच्चों को हल्दी का दूध पिलाने से बचें। -दालचीनी का प्रयोग चुटकीभर से भी कम फायदेमंद रहता है। इसकी अत्यधिक मात्रा लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है।
-किसी भी तरह की औषधि का चिकित्सकीय परामर्श से ही उपयोग करें।
औषधियों के उपयोग का एक ही फॉर्मूला सभी पर लागू नहीं हो सकता। इम्यूनिटी भी कुछ ही दिन में नहीं बढ़ सकती। इसके लिए दिनचर्या में सुधार आवश्यक है। डॉक्टर व्यक्ति की शारीरिक आवश्यकता के अनुसार माइक्रोन्यूट्रीएंट और मात्रा तय करते हैं। आयुर्वेद अंदाज से नहीं बल्कि सही मात्रा और कॉंम्बिेनेशन से काम करता है। ठंडे और गर्म तासीर का बैलेंस जरूरी है। –डॉ. कैलाश प्रजाति, एमडी, आयुर्वेद पंचकर्म
बिना चिकित्सक की सलाह कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए। किसी भी दवा का निश्चित मात्रा में उपयोग फायदेमंद रहता है। अन्यथा वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती है। हर औषधी का अलग फार्मूला होता है। आम व्यक्ति को औषधियों की पहचान नहीं होती है। कई लोग समझ के बिना अनावश्यक चीजें भी सेवन कर लेते हैं। इससे उल्टा नुकसान होता है। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी चिकित्सक की सलाह ही कारगर है। –डॉ. जयराजसिंह शेखावत, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, आयुर्वेद चिकित्सालय,पाली