जय बताता है कि घर में दादा-दादी, पापा-मम्मी सभी चिंता कर रहे है। मुझे क्वॉरंटीन करने पर पुलिसकर्मियों ने कहा था कि शाम को सेम्पल लेंगे। उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आने पर छोड़ देंगे। सेम्पल अभी तक नहीं लिया गया है। जब मुझे यहां लाया गया था तो मैं अकेला था। अभी चार-पांच लोग और भी है। उनका भी सेम्पल नहीं लिया गया है। आश्रय स्थल का दरवाजा भी 24 घंटे बंद रहता है। ऐसे में एक कैदी बन कर रह गया हूं।
कोरोना की चेन तोडऩे के लिए सख्ती जरूरी है। लोगों को घर से नहीं निकलने देना भी जरूरी है, लेकिन संस्थागत क्वारंटीन किए लोगों को इस तरह तीन-तीन दिन तक आरटीपीसीआर सेम्पल नहीं लेना गलत है। होना तो यह चाहिए कि उसे क्वॉरंटीन करने के बाद उसी दिन सेम्पल लेकर जांच के लिए भेजा जाए। जिससे 24 या 48 घंटे में रिपोर्ट मिले। जिसके नेगेटिव आने पर व्यक्ति फिर अपने घर जा सके।