आरयूआइडीपी की ओर से जिन स्थानों पर 24 घंटे जलापूर्ति की पाइप लाइन बिछाई गई है। वहां अभी तक 24 घंटे पानी नहीं दिया जा रहा है। पानी किसी जगह पर एकांतरे तो किसी जगह रोजाना दो से चार घंटे दिया जा रहा है। उसका भी समय तय नहीं है। कभी पानी सुबह तो कभी दोपहर व रात में दिया जाता है। ऐसे में लोगों को मीटर के आगे लगे वॉल्व खुले रखने पड़ते हैं। जिससे मीटर हवा से दौड़ते है। इसकी शहरवासी शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है।
आरयूआइडीपी की ओर से शहर में 135 लीटर पानी रोजाना प्रति व्यक्ति को दिया जाता है। यदि किसी घर में 6 सदस्य है तो रोजाना पानी की जरूरत होती है 910 लीटर। एक महीने की खपत करीब 30000 हजार लीटर होती है। इस राशि का बिल अधिक से अधिक 250 रुपए तक का होता है। इस तरह दो माह का बिल 500 रुपए ही होना चाहिए। जबकि बिल की राशि हजारों रुपए तक पहुंच रही है। इससे अधिक राशि के बिल जिन लोगों के आ रहे है। उनकी ओर से रीडिंग सही नहीं लिखने और हवा से मीटर चलने की शिकायत की जा रही है।
जलदाय विभाग से सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों की माने तो घरों में पानी के लिए बिछाई गई आधा इंच की पाइप लाइन से एक घंटे तक प्रेशर से भी पानी दिया जाए तो 1000 से 1200 लीटर पानी आता है। यदि दो घंटे हो तो मात्रा 2000 लीटर तक पहुंचेगी। ऐसे में पूरे माह इतना पानी लेने पर मात्रा 60 हजार लीटर होगी। जिसका बिल भी हर माह 350-400 रुपए से अधिक नहीं होगा। जबकि कई घरों में पानी का उपयोग एक से दो लाख लीटर तक उपभोग की रीडिंग दर्शाकर बिल थमाएं जा रहे है।
आरयूआइडीपी की ओर से बिछाई पाइप लाइन से कई जगहों पर दूसरी व तीसरी मंजिल तक पानी पहुंच रहा है। जबकि कई ऐसे लोग भी है जिनके घरों में पानी नहीं आ रहा। इस कारण उनको पानी के टैंकर मंगवाने पड़ रहे है। हाउसिंग बोर्ड में रहने वाले एक व्यक्ति ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर बताया कि उनके घर के आगे तीन से चार बार गड्ढा खोदा जा चुका है, लेकिन पानी नहीं आ रहा। उनको हर सप्ताह पानी का टैंकर मंगवाना पड़ रहा है। उनको पानी नहीं आने के बावजूद बिल भी भरना पड़ रहा है।
सवाल : पानी के बिल बढ़े हैं, क्या पानी की मात्रा बढ़ाई गई है?
जवाब : 24 घंटे पानी आपूर्ति की योजना 135 लीटर प्रति व्यक्ति रोजाना के हिसाब से ही तैयार की गई है। अभी भी एकांतरे पानी देने के बावजूद हर व्यक्ति को प्रतिदिन 135 लीटर पानी ही दिया जा रहा है।
सवाल : पानी उतना ही है तो बिल अधिक क्यों आ रहे है?
जवाब : पहले मीटर चालू स्थिति में नहीं थे। एक निश्चित उपभोग का बिल ही दिया जाता था। अब नए मीटर लगने पर मीटर रीडिंग से बिल दिए जा रहे है। लोग जितना पानी उपयोग कर रहे है। उतना बिल आ रहा है। कम पानी उपयोग करने पर बिल राशि भी घट सकती है।
सवाल : बिल जलदाय विभाग दे रहा है, वह ध्यान नहीं दे रहा?
जवाब: बिल जलदाय विभाग की ओर से दिए जा रहे है, लेकिन रीडिंग आरयूआइडीपी की ओर से दी जा रही है। हम दो माह की रीडिंग देखकर बिल बनाते हैं। यह सिस्टम तैयार होने के बाद आरयूआइडीपी इसे जलदाय विभाग को सौंप देगा।
सवाल : पानी के बिल अधिक राशि के क्यों आ रहे है?
जवाब : लोगों के पिछला बकाया है। वह जोडकऱ बिल दे रहे हैं। लोगों को पानी का मोल पहचानना होगा। उसका उपयोग मित्वयता से करना होगा। पानी को फालतू नहीं बहाना चाहिए। इससे बिल राशि कम हो सकती है। जब 24 घंटे पानी की आपूर्ति होगी तो अभी से कम पानी की जरूरत होगी।
सवाल : मीटर हवा से चलते है, इससे बिल बढ़ता है?
जवाब : मीटर लेब में टेस्टेड है। यदि किसी के मीटर तेज चलने की शिकायत है तो वह जलदाय विभाग के एइएन को लिखित में शिकायत कर सकते हैं। उसे जलदाय विभाग के कार्मिक लेब में टेस्क करवा सकते है। यदि किसी का मीटर गडबड़ है तो हम बदल देंगे। उसकी अधिक राशि भी एडजेस्ट करेंगे, लेकिन यदि ऐसा नहीं है तो उपभोक्ता को पेनल्टी देनी पड़ सकती है।
-2016 वर्ष में शुरू हुआ था 24 घंटे जलापूर्ति का कार्य
-2018 वर्ष के दिसम्बर मेंं पूरा होना था कार्य
-2021 वर्ष मार्च में अब पूरा करने का लक्ष्य
-494 करोड़ का है प्रोजेक्ट
-40 हजार पानी के कनेक्शन किए है आरयूआइडीपी ने
-25 हजार कनेक्शन में आरयूआइडीपी कर रहा जलापूर्ति
-40 डीएमए बनाए गए है शहर में
-28 में की जा रही है जलापूर्ति
-3 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है शहर में
-30 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट मानपुरा में
-19.4 एमएलडी का प्लांट भैरूघाट पर
-11 एमएलडी के दो प्लांट मंडली में
-7 उच्च जलाशय बनाए गए है नए
-19 उच्च जलाशय थे पहले से शहर में
-45146 कनेक्शन के दिए गए है पिछले बिल
-207 लाख रुपए है चार माह के बिल की राशि
आरयूआइडीपी की ओर से लगाए गए मीटर हवा से चलते है। यह बात जलदाय विभाग और आरयूआइडीपी के अधिकारी भी मानते है। उनके अनुसार जलापूर्ति शुरू करने पर पाइपों में भरी हवा वॉल्व खुला होने पर नलों से बाहर आती है। उस समय मीटर चल सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया महज चार से पांच मिनट की हो सकती है। इस अवधि में अधिक रीडिंग नहीं आ सकती है। जबकि शहरवासियों का आरोप है कि पानी आपूर्ति से पहले तो क्या, अन्य समय में भी कई बार मीटर तेज चलते हैं। जो रीडिंग अधिक आने का कारण है।
शिकायतें मिली
मेरे पास भी ऐसी शिकायतें आ रही हैं। लोगों के साथ परेशानी है। बिल ज्यादा आ रहे हैं। हवा से मीटर चलने की भी शिकायतें हैं। विभाग को इसका समाधान करना चाहिए। मैं भी मुख्यमंत्री को इस बारे में लिख रहा हूं। आमजन को समाधान नहीं मिला तो लौकतांत्रिक लड़ाई लड़ेंगे। –पी पी चौधरी, सांसद
पानी के बिलों और मीटरों में कुछ तो गड़बड़ है। मैंने सबसे पहले आवाज उठाई थी। कई लोग यह भी शिकायत करते हैं कि मीटर हवा से चल रहे हैं। विभाग को भरोसा तो दिलाना ही होगा कि यह योजना शहर के लिए किस तरह से फायदेमंद है। जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को भी समाधान का रास्ता तलाशना चाहिए। –मोटू भाई, कांग्रेस नेता
24 घंटे परियोजना महत्वाकांक्षी योजना है। इसका लाभ पाली की जनता को होगा, लेकिन योजना के भौतिक क्रियान्वयन में वर्तमान सरकार और जिला प्रशासन गंभीर नहीं है। 24 घंटे पानी उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में सरकार को पुरानी बिलों से ही दरें वसूलनी चाहिए। –निखिल व्यास, अधिवक्ता
24 घंटे पानी नहीं मिल रहा है तब तक योजना का कोई औचित्य नहीं है। पानी के नाम पर आमजन से लूट की जा रही है। यह योजना बनाने से पहले पानी का पर्याप्त इंतजाम करना चाहिए था। उपभोक्ताओं को पानी तो कम मिल रहा है, लेकिन बिल कई गुना बढ़ गए। –रूपेश बिस्सा, अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता
आमजन को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। स्थानीय स्तर पर समाधान नहीं किया जा रहा है तो मुख्यमंत्री के ध्यान में लाएंगे। राज्य सरकार 15 हजार लीटर तक पानी नि:शुल्क उपलब्ध करा रही है। इसके बावजूद भी बिल ज्यादा आ रहे हैं तो यह गंभीर विषय है। –जब्बरसिंह राजपुरोहित, कांग्रे नेता एवं पूर्व अध्यक्ष सेवादल