मधुमेह और उच्च रक्तचाप की मरीज मानकंवर की तबीयत खराब होने पर उनके परिजन बांगड़ अस्पताल ले गए। उस समय उनका ऑक्सीजन लेवल 70 आ रहा था। सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उनके पुत्र रामसुख पायक व अशोक पायक ने बताया कि मां को अस्पताल ले जाने पर भी उनकी दिनचर्या में अधिक बदलाव नहीं आया। ऑक्सीजन मास्क हटाते ही घर की तरह ही उन्होंने फिर से अनुलोम-विलोम शुरू कर दिया। प्राणायाम भी रोजाना करती थी। इसके अलावा हनुमान चालीसा का पाठ करती।
मानकंवर बताती है कि अस्पताल में रहते समय मैंने कभी नहीं सोचा की ठीक नहीं होऊंगी। मैं सोचती थी बीमारी जल्द ठीक होगी और मैं फिर अपने पोतों-पोती की बीच जाऊंगी। ऐसा ही हुआ भी। अब मैं घर में परिवार के साथ हूं। उनका कहना है कि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। मैंने तो अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों को भी ऐसा ही करने को कहा। जिसका उन पर प्रभाव भी हुआ।
इधर, अस्पताल से नौ दिन बाद घर लौटे नवनीत
बांगड़ चिकित्सालय में नौ दिन पहले पाली के ही नवनीत जोशी को भर्ती कराया गया था। उस समय उनकी स्थिति ठीक नहीं थी। जब वे रविवार को ठीक होकर घर गए तो बोले अस्पताल में समय पर दवा और सकारात्मक सोच के कारण वे यह जंग जीत सके है। उनका कहना है कि वे रोजाना योग भी करते थे।
बांगड़ चिकित्सालय में नौ दिन पहले पाली के ही नवनीत जोशी को भर्ती कराया गया था। उस समय उनकी स्थिति ठीक नहीं थी। जब वे रविवार को ठीक होकर घर गए तो बोले अस्पताल में समय पर दवा और सकारात्मक सोच के कारण वे यह जंग जीत सके है। उनका कहना है कि वे रोजाना योग भी करते थे।