scriptघर-घर पोषाहार के लिए बजट, तो कौन निगल रहा बच्चों का निवाला | Anganwadi children are not getting nutritious door-to-door in Pali | Patrika News

घर-घर पोषाहार के लिए बजट, तो कौन निगल रहा बच्चों का निवाला

locationपालीPublished: Apr 10, 2020 02:43:23 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

– प्रदेश के डेढ़ करोड़ से अधिक बच्चे प्रभावितविभाग का दवा : घर-घर पहुंचा रहे पोषाहार- पत्रिका पड़ताल में आया सामने नहीं पहुंच रहा है पोषाहारबड़ा सवाल : आखिर कहां जा रहा है पोषाहार?

घर-घर पोषाहार के लिए बजट, तो कौन निगल रहा बच्चों का निवाला

घर-घर पोषाहार के लिए बजट, तो कौन निगल रहा बच्चों का निवाला

-राजीव दवे

पाली। देशभर में कुपोषित बच्चों के मरने का आंकड़ा अधिक है… इधर, सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार बच्चों को प्रतिदिन निर्धारित मानक में प्रोटीन, कैलोरी देना अनिवार्य है, लेकिन कोरोना के कोहराम में कुपोषित बच्चों, धात्री व गर्भवती महिलाओं को महिला एवं बाल विकास विभाग ने उनके हाल पर छोड़ दिया है। कागजों में तो प्रदेश के करीब 80 लाख बच्चों को घर-घर जाकर पोषाहार वितरित करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।
पत्रिका टीम ने पाली, जालोर व सिरोही जिले में पड़ताल की तो इन दावों की हवा निकलती नजर आई। अब सवाल यह भी है कि घर-घर पोषाहार के लिए बजट दिया जा रहा है तो बच्चों का निवाला कौन निगल रहा है? पाली जिले के आंगनबाड़ी केंद्र पर तो 22 मार्च को जनता कफ्र्यू के बाद से पोषाहार का लॉकडाउन शुरू हो गया था। पाली में महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक कार्यालय व कलक्ट्रेट से चंद कदमों की दूरी पर स्थित कॉलोनियों में ही लॉकडाउन शुरू होने से लेकर अब तक घर-घर पोषाहार के पैकेट नहीं पहुंचाए गए हैं। ऐसे में गांव के हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। यही हालात जालोर के हैं। यहां अधिकारी ने स्वीकार किया कि कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को चिकित्सा विभाग की टीम के साथ लगा दिया, ऐसे में पोषाहार नहीं बड़ा होगा।
पत्रिका पड़ताल में ऐसे मिले हालात
मस्तान बाबा भाटों की गली : इस गली में मुमल का एक, ममता के घर से तीन, पिंकी का एक, जेनू के दो और सुआ के घर से एक बच्चा आंगनवाड़ी जाता है। जब पत्रिका टीम इस गली में पहुंची तो यह सभी बोली अभी तो आंगनबाड़ी बंद है। अब तक कोई पैकेट नहीं मिला है
बजरंगबाड़ी शास्त्री नगर: इस नगर में एक सब्जी के ठेले के पास कुछ महिलाएं थी। पोषाहार का पूछने पर बसंती देवी आई बोली मेरा एक बच्चा है, लेकिन अभी तक घर पर तो पोषाहार नहीं आया। यही बात चांद बीबी ने भी कहीं। उनके दो बच्चे आंगनवाड़ी जाते हैं। इतने में सहायिक मंजू वहां गुजरी तो पूछने पर बोली हमें तो बांटने के लिए पैकेट मिले ही नहीं।
यह तो कोर्ट की गाइड लाइन, पोषहार कैसे बंद
अभी प्रदेश के सभी डेढ़ करोड़ से अधिक आंगनबाड़ी जाने वाले बच्चों को घर-घर पोषाहार दिया जा रहा है। यह तो कोर्ट की गाइड लाइन है कि इन्हें निर्धारित मात्रा में पौष्टिक तत्व मिले। गांव-गांव तक हमारी पूरी टीम लगी हुई है। –प्रतिभा सिंह, निदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, जयपुर
हमें तो घर-घर पहुंचने की सूचना दी है
मेरे पास आंगनबाड़ी में आने वाले सभी बच्चों के घर पोषाहार सामग्री पहुंचाने की सूचना आई है। यदि किसी केंद्र से सामग्री नहीं पहुंचाई जा रही तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। –ओमसिंह राजपुरोहित, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास, पाली
डर से नहीं बंटा
घर-घर जाकर वितरण किया है। कुछ जगहों पर पोषाहार वितरण नहीं हो पाया है तो इसका मुख्य कारण लोगों में संक्रमण का डर और अधिकतर कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को चिकित्सा विभाग की टीम के साथ विभिन्न कार्य में लगाना है। –अशोक विश्नोई, कार्यकारी, उपनिदेशक जालोर।
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