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कागजी फेर में अटकी स्वीकृति, सरपंच ने अपने स्तर पर कराई नहरों की मरम्मत

locationपालीPublished: Oct 22, 2019 01:19:32 am

Submitted by:

Satydev Upadhyay

रायपुर मारवाड़. बिराटिया खुर्द की महिला सरपंच ने किसानों के हितार्थ बड़ा कदम उठाया है। सात साल बाद झिलमिल बांध के छलकने से कमांड क्षेत्र के किसानों के जहन में नहरों से पानी मिलने की आस जगी थी, लेकिन टूटी नहरों की मरम्मत के लिए सरपंच द्वारा जिला परिषद से मांगा गया बजट कागजी फेर में अटक गया।

कागजी फेर में अटकी स्वीकृति, सरपंच ने अपने स्तर पर कराई नहरों की मरम्मत

कागजी फेर में अटकी स्वीकृति, सरपंच ने अपने स्तर पर कराई नहरों की मरम्मत

रायपुर मारवाड़. बिराटिया खुर्द की महिला सरपंच ने किसानों के हितार्थ बड़ा कदम उठाया है। सात साल बाद झिलमिल बांध के छलकने से कमांड क्षेत्र के किसानों के जहन में नहरों से पानी मिलने की आस जगी थी, लेकिन टूटी नहरों की मरम्मत के लिए सरपंच द्वारा जिला परिषद से मांगा गया बजट कागजी फेर में अटक गया। इससे नहर से सिंचाई योग्य पानी मिलने की उम्मीद दम तोड़ गई। सरपंच ने अपने स्तर पर ही नहरों की मरम्मत का कार्य शुरू करवा किसानों की चिंता को समाप्त कर उन्हें राहत पहुंचाने का काम किया है। इधर, मरम्मत कार्य शुरू देख किसान काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।
दरअसल, बिराटिया खुर्द के झिलमिल बांध को सिंचाई विभाग द्वारा कई सालों पहले ग्राम पंचायत के अधीन कर दिया था। तब से ग्राम पंचायत ही इस बांध की देखरेख करती आ रही है। वर्ष 2012 के अपर्याप्त बारिश के चलते बांध छलक नहीं पाया। इससे किसानों को नहरों से पानी नहीं मिल सका। इस वर्ष अच्छी बारिश के चलते बांध छलकने के साथ ही कई दिनों तक चादर भी चली। बांध में पर्याप्त आवक होने से कमांड क्षेत्र के किसानों के जहन में इस बार नहरों से सिंचाई योग्य पानी मिलने की आस जगी।

एनओसी के फेर में अटकी स्वीकृति
सात साल से उपयोग के अभाव में नहर क्षतिग्रस्त हो गई थी। झाडिय़ों से अटी नहर की सफाई व मरम्मत के लिए बजट की जरूरत महसूस हुई। बिराटिया खुर्द सरपंच मीनू कंवर राठौड़ ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से मुलाकात कर नहरों की मरम्मत के लिए बजट की मांग की। जिला परिषद ने बजट देने पर सहमति तो दे दी लेकिन सिंचाई विभाग से एनओसी की अनिवार्यता पर जोर दिया। सरपंच ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर एनओसी देने की मांग की। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने यह तर्क देते हुए एनओसी देने से इनकार कर दिया कि जब बांध ही उनके विभाग के अधीन नहीं है। एनओसी नहीं मिलने से जिला परिषद ने स्वीकृति जारी नहीं की।

बांध पर एक नजर
झिलमिल बांध की भराव क्षमता 16 फीट है। करीब 1500 किसान कमांड क्षेत्र में आते हैं। जिन्हें सात साल के लम्बे इंतजार के बाद अब नहरों से पानी नसीब हो पाएगा।

फिर अपने स्तर पर शुरू करवाई मरम्मत
सरपंच राठौड़ ने बजट नहीं मिलने पर अपने स्तर पर ही श्रमिक लगा नहरों की सफाई कराई। इसके बाद जहां से नहरें क्षतिग्रस्त थी वहां मरम्मत कार्य भी शुरू करवा दिया। सरपंच राठौड़ ने बताया कि दीपावली बाद जल उपयोक्ता संगम के पदाधिकारियों व कमांड क्षेत्र के किसानों की सामूहिक बैठक आयोजित कर किसानों की सहमति के अनुसार नहरों से पानी देना शुरू किया जाएगा।

किसानों के हितों के लिए उठाना पड़ा कदम
बांध ग्राम पंचायत के अधीन है। इससे सिंचाई विभाग ने मरम्मत बजट स्वीकृति के लिए एनओसी देने से इनकार कर दिया। नहरों की बगैर मरम्मत कराए पानी देते तो पानी व्यर्थ बहता। किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाता। किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने स्तर पर नहरों की सफाई करवा मरम्मत कार्य शुरू करवा दिया है। दीपावली बाद नहरों के जरिए किसानों को पानी देंगे। सात साल बाद किसानों को नहरों से पानी मिलने से वे काफी उत्साहित हैं।
– मीनू कंवर राठौड़, सरपंच, बिराटिया खुर्द
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