देशी पशुओं का नस्ल सुधार होने से दूध उत्पादन बढ़़ेगा। पशुपालक में भी जागरूकता बढ़ेगी। नस्ल सुधार से पशुओं का दूध दुगुना होगा। दूध उत्पादन बढऩे से पशुपालकों की आय बढऩे से उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी।
पशुपालन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक देशी मादा पशुओं में दूध का अधिक उत्पादन करने के लिए कृत्रिम नस्ल सुधार किया जाएगा। जिले के सौ गांवों का चयन किया जाएगा। प्रत्येक गांव में 100 मादा पशुओं का नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक जिले में 10 हजार मादा पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान करने का लक्ष्य तय कर रखा है।
पशुपालन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह अभियान दो चरणों में क्रियान्वित किया जाएगा। प्रत्येक चरण की अवधि तीन माह होगी। प्रथम चरण 1 सितम्बर से 30 नवम्बर तक चलेगा। दूसरा चरण 15 दिसम्बर से 15 मार्च 2020 तक। कृत्रिम गर्भाधान करने वाले कर्मचारी को प्रत्येक पशु पर 50 रुपए का मानदेय मिलेगा। एक साल बाद अच्छे नस्ल का बच्चा होने पर कर्मचारी को 100 रुपए और दिए जाएंगे।
दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए देशी मादाओं का कृत्रिम गर्भाधान किया जाएगा। इससे नस्ल सुधार के साथ दूध उत्पादन भी बढ़ेगा। पशुपालकों की आय दुगुनी होगी। नस्ल सुधार के लिए दो चरणों में अभियान चलाया जाएगा। नस्ल सुधार से पशुपालकों को काफी फायदा होगा। -डॉ. चक्रधारी गौतम, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, पाली