पाली

बाबा के भक्त है, सिर्फ सेवा करते हैं

– बाबा के भक्तों को मनवार कर भंडारे में ले जाकर करवा रहे भोजन – जातरुओं की सेवा के लिए मार्ग पर जगह-जगह खुले भंडारे

पालीSep 08, 2018 / 12:00 pm

rajendra denok

बाबा के भक्त है सिर्फ सेवा करते हैं।

पाली। भाद्रपद शुरू होते ही जिले के हर गांव कस्बे से गुजर रही सडक़ों पर बाबा रामदेव का जयकारा गूंजने लगा था। जो बाबा की बीज नजदीक आने के साथ ही तेज होता जा रहा है। बाबा के द्वार पर मत्था टेकने जा रहे पैदल और अन्य जातरुओं की सेवा के लिए हर कदम पर शिविर लगे हैं। जहां जातरुओं को जीमा भी बाबा रहे और दवा भी बाबा दे रहे हैं। इसका कारण यह है कि जिन भंडारों में रोजाना सैकड़ों लोग भोजन व नाश्ता कर रहे हैं। बीमार होने पर दवा ले रहे हैं। वहां पैसा कहां से आ रहा है कोई नहीं जानता। सेवा करने वाले किसी भी शख्स से पूछो तो एक ही जवाब मिलता है। बाबा जातरुओं को जीमाने के साथ दवा दे रहे हैं। हम तो बाबा के भक्त है सिर्फ सेवा करते हैं।
आते हैं और दे जाते हैं राशि
हाइवे के साथ अन्य जगहों पर चल रहे भंडारों में गुप्त दान करने वालों की कमी नहीं है। जो लोग भंडारा चला रहे हैं वे भी दानदाताओं के बारे में नहीं जानते। छोटे रुणेचा धाम पर बाबा रामदेव मित्र मंडल सेवा समिति घुमटी के तत्वावधान में भंडारा चल रहा है। समिति प्रवक्ता तेजराज सोलंकी ने बताया कि भक्तों के लिए सुबह 4 बजे से चाय नाश्ता शुरू कर दिया जाता है। यहां रोजाना करीब 10 जातरू प्रसाद ग्रहण करते हैं। बीमार जातरुओं के लिए एक डॉक्टर व कम्पाउडर सेवाएं दे रहे है। जो जातरुओं को दवा भी देते हैं। पणिहारी तिराहे पर रोजाना
8 से 10 हजार भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। रामटीला पर भी भंडारा चल रहा है। मंडिया बाइपास, कॉलेज रोड पर जय बाबा रामदेव सेवा समिति के नारायणसिंह, पिन्टू भाई, हेमाबाई भंडार चला रहे हैं। इसी तरह रेलवे स्टेशन, हाऊसिंग बोर्ड, हेमावास गांव के पास, घुमटी से पहले हलवाई व टेंट ग्रुप की ओर से भंडारा चल रहा है। है। शहर में दर्जनों जगह चाय नाश्ते की भी व्यवस्था की गई है।
मेवाड़ व गुजरात से आ रहे भक्त
पाली शहर व बाइपास से गुजरने वाले बाबा के भक्त अजमेर, उदयपुर संभाग व गुजरात से आ रहे हैं। नेशनल हाइवे पर हाथ में बाबा की ध्वजा व घोड़ा थामे रंग बिरंगे परिधानों में बाबा के जयघोष से वातावरण इन दिनों बाबा के रंग में रंगा हुआ है। हालात यह है कि भंडारों पर लोग जातरुओं को रोककर उनके पैर तक दबाते हैं। उनको भोजन करने की मनुहार करते हैं।

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