सदियों से ऊंट पालन के व्यवसाय से जुड़े देवासी समाज में ऊंट पर बिठाकर बंदोली निकाली जाती है तथा ऊंट पर बैठकर ही दूळला तोरण मारने जाता है। आमतौर पर दूल्हे को घोड़े पर बिठाया जाता है लेकिन देवासी समाज में ऐसा नही होता है।
ऐसा ही ऊंट पर दूल्हे बंदोली का नजारा गांव के जोजावर रोड़ पर देखने को मिला जहां वार्ड नम्बर पांच देवासी बाहुल्य मोहल्ले के निवासी मंगलाराम के पुत्र कन्हैया की शादी के दौरान देखने को मिला सजे धजे ऊंट पर दूल्हा बना कन्हैया पारंपरिक वेशभूषा में बंदौली उत्साह के साथ निकाली गई।
समाज के अर्जुनराम देवासी और ऊंट पालन से जुड़े घीसाराम देवासी ने बताया कि शादी हम लोग ऊंट पालन से जुड़े है तथा उसी को समारोह या विवाह आयोजन में उपयोग कर शादी या अन्य उत्सवों में घोड़ी या रथ की फिजुल खर्ची से भी बचा जाता है। आज भी हम लोग उत्साह के साथ शादी में ऊंट पर तोरण मारते है तथा बंदौली निकालते है।