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सचेत रहें : खूब चल रही डर की दुकान, अंधविश्वासपूर्ण संदेशों का बाजार गर्म, जानें पूरी खबर…

– महिलाएं व धर्म-भीरू लोग बन रहे संवाहक, हजारों तक पहुंच रहे डरावने संदेश- विद्वानों का कहना : जैव वायरस के प्रसार को रोकने में सरकारी निर्देशों का पालन करना आवश्यक

पालीMar 30, 2020 / 02:01 pm

Suresh Hemnani

सचेत रहें : खूब चल रही डर की दुकान, अंधविश्वासपूर्ण संदेशों का बाजार गर्म, जानें पूरी खबर…

पाली। राजसमंद में एक बालिका जन्मी…। उसने जन्मते ही बोलना शुरू कर दिया और कहा कि देश में महामारी फैली हुई है। मां जगदंबा कुपित है। इससे बचने का एक ही उपाय है कि सभी लोग अपने घर में जितने सदस्य है, उतने घी के दीए जलाएं… आपका बुरा वक्त अब खत्म हो चुका है ये मां के चरण 11 लोगों को सेंड करें तो आपका अच्छा समय शुरू हो जाएगा…।
ये हास्यास्पद संदेश तो बानगी हैं, पर इन दिनों सोशल मीडिया एवं महिलाओं में ऐसे कई तरह के संदेश खासे प्रचारित-प्रसारित हो रहे हैं। कोरोना के डर से हर कोई भयाक्रान्त है और ऐसे मेे ये संदेश कमजोर हृदय धर्म-भीरू पुरुषों व महिलाओं में चल निकलते हैं। कई बार तो बुद्धिजीवी वर्ग भी इन संदेशों की चपेट में आ जाते हैं। संदेश ही कुछ ऐसा डरावना होता है कि कई लोगों में संदेश वायरल नहीं किया तो कुछ बुरी घटना घटित हो सकती है। ऐसे में अच्छे-भले व पढ़े-लिखे लोग भी संदेशों को वायरल करने से नहीं चूकते।
देश के लोग धर्म परायण हैं और डर का माहौल इतना है कि ये अंधविश्वासपूर्ण मैसेज जल्द ही हजारों लोगों तक पहुंच जाते हैं। इस संंबंध में विद्वानों से बात की तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे संदेश लोगों को गुमराह करते हैं। ये अफवाहें ही ऐसे समय में सबसे घातक होती है। आज दिल्ली का दृश्य को देखकर ही इस की सच्चाई की जान सकते हैं कि अफवाहें किस तरह लाखों लोगों तक पहुंचकर सरकारी प्रयासों को फेल कर सकती है। विद्वानों कहना है कि ये वैश्विक महामारी है और जैव-वायरस के प्रसार को रोकने में अंधविश्वास काम नहीं आ सकते।
सरकारी निर्देशों का पालन करें, डरें नहीं
लोगों को ऐसे संदेशों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। संकट के ऐसे समय में सरकारी ही मददगार हो सकती है। कोई भी टोना-टोटका जैविक रोग के प्रसार को खत्म नहीं कर सकता। ऐसे रोग से बचने का सबसे आसान व कारगर उपाय है कि हम सरकारी निर्देशों का पालन गंभीरता से करें और लॉकडाउन को सफल बनाएं। प्रसार का चक्र टूटे बिना इसे फैलने से नहीं रोका जा सकता। – सीताराम जोशी, साहित्यकार एवं शिक्षाविद

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