स्वछंद उड़ान के मतवाले ये परिंदे जहां सकून मिलता हैवही डेरा डज्ञल देते है। हर साल हजारों किलोमीटर की यात्रा कर ये विदेशी परिंदे शहर के लाखोटिया तालाब में दिखयी दिए तो लोगो को हलूम देखने उमड़ पड़ा। विदेशी परिंदों के समूह की अठखेलियां देखने के लिए लोग घंटो घाट पर खड़े रहे।
स्वछंद उड़ान के मतवाले ये परिंदे जहां सकून मिलता हैवही डेरा डज्ञल देते है। हर साल हजारों किलोमीटर की यात्रा कर ये विदेशी परिंदे शहर के लाखोटिया तालाब में दिखयी दिए तो लोगो को हलूम देखने उमड़ पड़ा। विदेशी परिंदों के समूह की अठखेलियां देखने के लिए लोग घंटो घाट पर खड़े रहे।
स्वछंद उड़ान के मतवाले ये परिंदे जहां सकून मिलता हैवही डेरा डज्ञल देते है। हर साल हजारों किलोमीटर की यात्रा कर ये विदेशी परिंदे शहर के लाखोटिया तालाब में दिखयी दिए तो लोगो को हलूम देखने उमड़ पड़ा। विदेशी परिंदों के समूह की अठखेलियां देखने के लिए लोग घंटो घाट पर खड़े रहे।
स्वछंद उड़ान के मतवाले ये परिंदे जहां सकून मिलता हैवही डेरा डज्ञल देते है। हर साल हजारों किलोमीटर की यात्रा कर ये विदेशी परिंदे शहर के लाखोटिया तालाब में दिखयी दिए तो लोगो को हलूम देखने उमड़ पड़ा। विदेशी परिंदों के समूह की अठखेलियां देखने के लिए लोग घंटो घाट पर खड़े रहे।
स्वछंद उड़ान के मतवाले ये परिंदे जहां सकून मिलता हैवही डेरा डज्ञल देते है। हर साल हजारों किलोमीटर की यात्रा कर ये विदेशी परिंदे शहर के लाखोटिया तालाब में दिखयी दिए तो लोगो को हलूम देखने उमड़ पड़ा। विदेशी परिंदों के समूह की अठखेलियां देखने के लिए लोग घंटो घाट पर खड़े रहे।