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सूरत हादसा : यहां भी बिगड़े हालात, सुरक्षा को ठेंगा दिखा रही बहुमंजिला इमारतें, जानिए पूरी खबर…

locationपालीPublished: May 25, 2019 12:39:11 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

– फायर की एनओसी तक नहीं लेते- यहां भी फैल रहा बहुमंजिला इमारतों का जाल- आग लगने पर बुझाने के नहीं हैं सभी जगह प्रबंध- अधिकारियों का रवैया भी उदासीन

Buildings without security in Pali

सूरत हादसा : यहां भी बिगड़े हालात, सुरक्षा को ठेंगा दिखा रही बहुमंजिला इमारतें, जानिए पूरी खबर…

पाली। सूरत की बहुमंजिला इमारत में लगी आग ने पालीवासियों की नींद भी उड़ा दी है। वहां चार मंजिला इमारत की दूसरी मंजिल पर लगी आग में कोचिंग कर रहे विद्यार्थी जल गए। आग बुझाने के पर्याप्त प्रबंध नहीं होने से विद्यार्थियों की जान नहीं बच पाई। सूरत के हादसे से भी पाली भी सहम गया है।
महानगरों की तर्ज पर हमारे शहर में भी बहुमंजिला इमारतों का जाल फैलता जा रहा है। लेकिन, निर्माण के दौरान राजस्थान भवन विनियम बायलॉज की पालना नहीं की जाती। जो अधिकारी जिम्मेदार हैं, वे भी उदासीन है। अधिकतर बहुमंजिला इमारतों में बायलॉज नियमों के तहत फायर फायटिंग सिस्टम नहीं है। इतना ही नहीं, दमकल कार्यालय से फायर फाइटिंग सिस्टम की एनओसी तक नहीं ली जाती है।
शहर में बनी अधिकतर बहुमंजिला इमारतों में आग बुझाने के लिए बायलॉज के अनुसार पुख्ता व्यवस्था नहीं है। ऐसे में आगजनी की घटना होने पर जान-माल का खतरा मंडरा रहा है। कहने को तो राजस्थान भवन विनियम बायलॉज के तहत बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की स्वीकृति के साथ ही फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने की इजाजत लेनी होती है। इसके साथ ही फायर स्टेशन प्रभारी से इसकी जांच करवाने के बाद नगर परिषद से फायर की एनओसी लेना आवश्यक है, लेकिन अधिकतर बिल्डर एनओसी नहीं लेते। परिषद के पास 40 फीट ऊंचाई तक आग बुझाने की क्षमता वाली फायर ब्रिगेड ही है।
यह होनी चाहिए व्यवस्था
बहुमंजिला इमारतों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि आगजनी की घटना होते ही तुरंत नगर परिषद के अग्निशमन केन्द्र तक सूचना पहुंच जाए। फायर फाइटिंग सिस्टम के तहत कम से कम एक ब्लॉक में चार एबीसी गैस सिलेंडर हो। आग बुझाने के लिए डीसीपी (ड्राई केमिकल पाउडर), शॉट सर्किट से लगने वाली आग को बुझाने के लिए सीओ-टू गैस के सिलेंडर की भी व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही एक अंडर टैंक एवं एक ओवर टैंक होना चाहिए। इसमें से एक टैंक अग्निशमन व्यवस्था के पाइपों की प्रणाली से जुड़ा होना चाहिए।
26 बिल्डिंग में हुआ था ज्यादा निर्माण, अब भी जारी
जून 2013 में नगर परिषद के सर्वे में सामने आया था कि शहर में तब बन रही 26 बहुमंजिला इमारतों में स्वीकृति से ज्यादा निर्माण हुआ। मामला उजागर हुआ तो स्वायत्त शासन विभाग में इसकी शिकायत भी हुई। लेकिन उसके बाद भी बायलॉज नियम के विरुद्ध बनी इन इमारतों के नियमन की राह खोल दी गई। इधर, शहर के सूरजपोल चौराहे के निकट बनी रही बहुमंजिला इमारत में भी स्वीकृति से ज्यादा निर्माण हो रहा है।
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