प्रेक्षा ने पाए 96.60 प्रतिशत
सीबीएसइ कला वर्ग में पाली की प्रेक्षा नाबरिया ने 96.60 अंक हासिल किए है। वह कहती है कि मैंने पढ़ाई को कभी दबाव नहीं समझा। सभी विषय एन्जॉय करते हुए पढ़े। इसी से सफलता मिली है। जैसे ही परीक्षा परिणाम आया तो दादा को फोन किया। वे उस समय कार में थे। परिणाम जानते ही बहुत खुश हुए और बोले बहुत बढ़िया बेटा। पापा मनोज नाबरिया, मां मोनिका नाबरिया के साथ चाचा-चाची ने उसका मुंह मीठा कराया। उसने बताया कि परिवार में आज तक सबसे अधिक अंक उसी ने हासिल किए हैं।
सीबीएसइ कला वर्ग में पाली की प्रेक्षा नाबरिया ने 96.60 अंक हासिल किए है। वह कहती है कि मैंने पढ़ाई को कभी दबाव नहीं समझा। सभी विषय एन्जॉय करते हुए पढ़े। इसी से सफलता मिली है। जैसे ही परीक्षा परिणाम आया तो दादा को फोन किया। वे उस समय कार में थे। परिणाम जानते ही बहुत खुश हुए और बोले बहुत बढ़िया बेटा। पापा मनोज नाबरिया, मां मोनिका नाबरिया के साथ चाचा-चाची ने उसका मुंह मीठा कराया। उसने बताया कि परिवार में आज तक सबसे अधिक अंक उसी ने हासिल किए हैं।
दादी ने लगाया गले, बहनों ने लड़ाया लाड़
पाली। शहर के सेंट्रल एकेडमी स्कूल में पढ़ने वाली मोलीश्री ने विज्ञान वर्ग में 96.20 अंक हासिल किए है। परिणाम आते ही दादी ने पोती को गले से लगा लिया। वह खुशी से बोली बेटा तू ऐसे ही जीवन में आगे बढ़कर मेरा, परिवार का और देश का नाम ऊंचा करना। इसके बाद माता-पिता व छोटी बहन ने भी उसे लगे लगाकर लाड लडाया। मोलीश्री ने बताया कि वह रोजाना छह-सात घंटे नियमित अध्ययन करती थी। उसका कहना था कि बचपन से मम्मी गायत्री शर्मा ने मुझे पढ़ाया। वे एकाग्र होकर पढ़ने को कहती थी। इसी का परिणाम है कि मैं आज अच्छे अंक ला सकी। बेटी की सफलता से पिता उपेन्द्र शर्मा भी फूले नहीं समाए।
पाली। शहर के सेंट्रल एकेडमी स्कूल में पढ़ने वाली मोलीश्री ने विज्ञान वर्ग में 96.20 अंक हासिल किए है। परिणाम आते ही दादी ने पोती को गले से लगा लिया। वह खुशी से बोली बेटा तू ऐसे ही जीवन में आगे बढ़कर मेरा, परिवार का और देश का नाम ऊंचा करना। इसके बाद माता-पिता व छोटी बहन ने भी उसे लगे लगाकर लाड लडाया। मोलीश्री ने बताया कि वह रोजाना छह-सात घंटे नियमित अध्ययन करती थी। उसका कहना था कि बचपन से मम्मी गायत्री शर्मा ने मुझे पढ़ाया। वे एकाग्र होकर पढ़ने को कहती थी। इसी का परिणाम है कि मैं आज अच्छे अंक ला सकी। बेटी की सफलता से पिता उपेन्द्र शर्मा भी फूले नहीं समाए।
दादा के नक्शे कदम पर चलेगी खेवाज कंवर
फालना। सेंटपॉल स्कूल की छात्रा खेवाज कंवर राठौड़ दादा के नक्शे कदम पर चलने को आतुर है। उसी जज्बे से उसने सीबीएसइ की दसवीं कक्षा में 96.80 अंक हासिल किए है। वह कहती है कि अध्ययन के साथ उसकी सफलता में व्याख्याता राजकंवर राणावत व शारीरिक शिक्षक पिता कुंदन सिंह राठौड़ का बड़ा योगदान रहा। उसने बताया कि केरली खिंवाड़ा निवासी उसके दादा बलदेवसिंह राठौड़ भारतीय वायु सेना में थे। उन्होंने 1962 ,1965 व 1971 में जंग लड़ी। नाना जोगसिंह राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित है। उनको देखकर ही उसने भारतीय वायुसेना में जाने के लिए तैयारी शुरू की। उसमें सफलता पाने के लिए वह नियमित अध्ययन करती है।
फालना। सेंटपॉल स्कूल की छात्रा खेवाज कंवर राठौड़ दादा के नक्शे कदम पर चलने को आतुर है। उसी जज्बे से उसने सीबीएसइ की दसवीं कक्षा में 96.80 अंक हासिल किए है। वह कहती है कि अध्ययन के साथ उसकी सफलता में व्याख्याता राजकंवर राणावत व शारीरिक शिक्षक पिता कुंदन सिंह राठौड़ का बड़ा योगदान रहा। उसने बताया कि केरली खिंवाड़ा निवासी उसके दादा बलदेवसिंह राठौड़ भारतीय वायु सेना में थे। उन्होंने 1962 ,1965 व 1971 में जंग लड़ी। नाना जोगसिंह राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित है। उनको देखकर ही उसने भारतीय वायुसेना में जाने के लिए तैयारी शुरू की। उसमें सफलता पाने के लिए वह नियमित अध्ययन करती है।
फालना। नगर के व्यवसायी पारसमल सोनिगरा की पोती जनिशा सोनिगरा पुत्री प्रदीप सोनिगरा ने सीबीएसइ दसवीं की परीक्षा में 96.80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। वह बताती है कि परीक्षा में सफल होने के लिए उसने मोबाइल से दूरी बना ली थी। वह नियमित अध्ययन करती। उसकी इच्छा आइआइटी इंजीनियर बनने की है। उसने बताया कि मम्मी शशि सोनिगरा उसे हमेशा प्रोत्साहित करती है।