यह कहानी अकेली ललिता कि नहीं है। जिले में ऐसी सैकड़ों विवाहिताएं है जो नि:संतानता का दर्द झेल रही है। वर्तमान परिवेश व खान-पान के चलते दम्पतियों की फर्टिलिटी दर घट रही है। स्त्री रोग विशेषज्ञ इसका प्रमुख कारण दम्पतियों में तनाव, मोटावा व कुपोषण को मान रहे हैं। बांगड़ अस्पताल की बात करें तो यहा रोजाना करीब दस दम्पती ऐसे पहुंच रहे हैं, जो नि:संतानता का दर्द झेल रहे है। इसमें सामाजिक दृष्टिकोण के कारण महिलाओं को ही दोषी माना जाता है, भले ही कमी पुरुष में हो। इस सोच के कारण महिलाएं मानसिक तनाव की शिकार हो जाती है।
बांगड़ अस्पताल पहुंच रहे प्रतिदिन 8-10 मरीज
बांगड़ अस्पताल के आउटडोर में प्रतिदिन आठ-दस मरीज ऐसे पहुंच रहे है। जिन्हें शादी के पांच-छह साल बाद भी संतान सुख नहीं मिल सका है। एक्सपर्ट व्यू – महिला-पुरुषों में नि:संतानता के प्रमुख कारण
बांगड़ अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवचरण मीणा ने बताया कि साइक्लिकल ऑव्यूलेशन के समय जब अंडा फेलोपियन ट्यूब में आता है। इस दौरान असुरक्षित सम्बन्ध बनाने पर भी गर्भधारण नहीं होता है। यह भी बांझपन की श्रेणी में आता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम इसे पीसीओएस/पीसीओडी के रूप में भी जाना जाता है, यह महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके साथ ही पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यह एक हार्मोनल विकार है, जो संतान की इच्छा रखने वाली महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही हाइपोथैलेमिक अमेनोरेरिया भी बांझपन का है।
यह एक ग्रंथी है जो शरीर में हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करता है। हाइपोथैलेमस तनाव, आहार, अचानक वजन बढऩे या कम होने और अधिक व्यायाम जैसे कारकों से आसानी से प्रभावित होता है। यह ऐसी परिस्थिति का कारण बन सकता है, जिससे महिलाओं का मासिक धर्म प्रभावित हो। जिससे बांझपन जैसी समस्याएं होती हैं। पुरुषों में प्रमुख रूप से शुक्राणुओं की कमी एवं शुक्राणु नहीं बनना प्रमुख कारण माने जाते है। महिलाओं में दोनों फैलोपियन टयूबों का बंद होना भी बच्चे नहीं होने का प्रमुख कारण है।