scriptजहरीले दंश के दर्द से छिनती सांसें | Chinti breath from the pain of the poisonous bite | Patrika News

जहरीले दंश के दर्द से छिनती सांसें

locationपालीPublished: Aug 11, 2015 11:18:00 pm

मानसून के दौर में अरावली का
इलाका सर्प दंश का दर्द हर साल झेलता है, लेकिन अभी तक इस पर नियंत्रण पाने के
सरकारी प्रयास कहीं नजर नहीं आते।

Snake

Snake

पाली। मानसून के दौर में अरावली का इलाका सर्प दंश का दर्द हर साल झेलता है, लेकिन अभी तक इस पर नियंत्रण पाने के सरकारी प्रयास कहीं नजर नहीं आते। इस साल जून से अब तक जिले में हुई करीब बीस घटनाओं में से पांच लोगों की मौत की बात सामने आ चुकी हैं। हालांकि, सरकारी रिकॉर्ड में इस अवधि में मात्र 15 घटनाओं का ही उल्लेख है और एक मौत की पुष्टि सर्पदंश से की गई है। दरअसल, हर साल मानसून की दस्तक के साथ ही सर्प दंश से मौतों का सिलसिला शुरू हो जाता है और सर्दियों की शुरूआत तक जारी रहता है।

जहां तक सरकारी स्तर पर उपाय की बात है तो वे कहीं नजर नहीं आते। यहां तक कि वन विभाग भी वनरक्षकों को सर्प पकड़ने की ट्रेनिंग दे चुका है, लेकिन आज तक क्षेत्र में इसका कोई बड़ा प्रभाव नजर नहीं आया। पहाड़ी इलाकों में तो लोगों में जागरूकता के प्रयास तक वन विभाग की ओर से नहीं किए गए। पाली और उससे जुड़ा सिरोही जिला इससे सर्वाधिक प्रभावित है। सांपों के बारे में जानकारी नहीं होने के चलते लोग अक्सर प्रभावी उपचार नहीं करवा पाते और मौत का शिकार हो जाते हैं।

ऎसे होती हैं जहरीले दंश की पहचान
जहरीले सर्प द्वारा डसे गए स्थान पर दो नीले घाव उभर आते हैं। व्यक्ति के हाथ-पैरों में झनझनाहट, दुर्बलता, रक्तस्त्राव, चक्कर आना, पसीना छूटना और वमन व मिचली आने जैसे लक्षण भी नजर आते हैं। कोबरा के डसने पर पन्द्रह मिनट में सूजन आने लगती है। हालांकि, करैत अधिक जहरीला होता है, लेकिन उसके ज्यादा लक्षण प्रकट नहीं होते।

यह करें उपाय
रात्रि में टॉर्च और कपड़े के साथ ही बाहर निकलें। पैरों को अच्छी तरह ढंकने वाला जूता ही पहनें। साधारणतया सांप तभी डसता है, जब स्वयं को असुरक्षित महसूस करता है। कोबरा जैसा खतरनाक सांप भी समीप जाने पर पहले फुंफकार कर हटने की चेतावनी देता है। सांप से सामना होने पर उस पर कपड़ा फेंक दें, ताकि वह उससे उलझ जाए। सांप पर वार नहीं करें। निशाना चूका तो सांप सीधा दंश मारता है और गुस्से में जहर भी अधिक निकालता है।

सांप डस ले तो पीडित को ज्यादा दौड़भाग नहीं करनी चाहिए। ऎसे में ह्वदय गति तेज होने से जहर जल्दी शरीर में फैलता है। उसे लिटा देना चाहिए और काटे गए स्थान को लगातार पानी से धोना चाहिए। किसी तरह के अंधविश्वास में नहीं पड़ते हुए तत्काल अस्पताल पहुंचकर एंटीवेनम इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
( जैसा कि पाली सीएमएचओ डॉ. एस.एस. शेखावत ने बताया )

रात्रि में सर्वाधिक शिकार
आबूरोड चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. एम.एल. हिण्डोनिया सर्पदंश के इलाज में माहिर है। सरकारी रिकॉर्ड देखें तो करीब 95 प्रतिशत से अधिक केस में उन्होंने पीडित को बचाया है। बीते पांच साल में करीब सवा दो सौ केस उनके पास बारिश की सीजन में आए हैं। डॉ. हिण्डोनिया बताते हैं कि सर्पदंश के मरीज पर लगातार नजर रखनी जरूरी है। अरावली क्षेत्र में न्यूरोटॉक्सिक एवं ह्युमोटॉक्सिक के केस आते हैं। न्यूरोटॉक्सिक केस में पीडित के हाथ-पांव सुन्न होने लगते हैं और आखों में जलन व मुंह बंद होने लगता है। ह्युमोटॉक्सिक केस में सर्पदंश के बाद मुंह व नाक से रक्तस्त्राव होने लगता है। शरीर में सूजन आने लगती है। शरीर में ऎसे लक्षणों के आधार पर एंटी वैनम इंजेक्शन दिया जाता है।

ऑस्टे्रलियन टाइगर सबसे जहरीला
दुनिया में आस्टे्रलियन टाइगर प्रजाति का सांप सर्वाधिक जहरीला होता है। भारत में ऎनेसिस क्रेट से बढ़कर अन्य इतने जहरीले नहीं होते। मीठे पानी में विचरण करने वाला किसी भी प्रजाति का सांप जहरीला नहीं होता, जबकि समुद्री सांप अत्यंत जहरीले होते हैं।

प्रदेश में चार प्रजातियां ही जहरीली
सभी सांप जहरीले नहीं होते। संसार में ढाई सौ से भी अधिक प्रजातियों में से करीब 10 प्रजातियां ही विषैली होती हैं। प्रदेश में पाई जाने वाली 35 से 40 प्रजातियों के सांपों में से क्रेट, कोबरा, रसल वाइपर व सॉस्केल वाइपर ही जहरीले हैं। माउंट आबू में दुर्लभ प्रजाति का सर्वाधिक जहरीला ऎनेसिस के्रट सांप पाया जाता है।
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